ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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सनसनाती सर्द हवाओं का कहर,
कोहरे की सफ़ेद पैरहम में मंजर
रुत शहजादी शानो अंदाज में,
करने वाली है इधर नजर…।
कलियों लदी रजनीगंधा की डाली,
भाप उड़ती गर्म चाय की प्याली
अंदर लरजता जिस्मों-जान,
और बर्फ़ीली हवा मवाली…।
शब-ए-अँगड़ाईयों की फ़रेबी अदा,
परिंदों परवाजों की दिलकश सदा
बिखरी शबनम कतरे जर्र-जर्रे,
फुरफुरी फ़ुरफेक बाद-ए-शबा…।
अलसाया ख़ुमारी भरा आलम,
मफ़लर लपेटे चाँद वो ज़ालिम
सिगड़ी से लिपटा चिपका है,
सर्दी से डरता बेदर्दी बालम…।
रजाई लगती, जैसे मक्खन,
उतरता डूबता सर्द तन-बदन।
धूप से बढ़ता मीठा याराना,
महकता ये गुलों का चमन…॥
परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।