डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
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उम्र चाहे जो भी हो,
हर इंसान में एक
बच्चा छुपा रहता है।
जीवन भर रहकर गंभीर,
कुछ पल के लिए ही सही
ज़िंदादिल बन जाता है।
कर्तव्यों के प्रति सचेत रहकर भी,
बच्चों के साथ हँसता है, रोता है
खेल-खेल में उछलता कूदता है।
पता है कि बचपन लौट कर
नहीं आएगा,
प्यारे बच्चों के साथ
फिर से अपने बचपन को, दोहराता है।
नाना-नानी, दादा-दादी बन,
एक बार पुनः
नाती-पोती के साथ,
दिल तो बच्चा बन जाता है॥
