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दिवाली की खुशियाँ

गरिमा पंत 
लखनऊ(उत्तरप्रदेश)

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हमने कहा प्रिय-
आओ दिवाली मनाएं,
खुशियों का रंग सबके
चहरे पर ले आएं।
दीए की लौ से हर तरफ,
अँधेरा दूर भगाएं
जैसे ही दिया हमने जलाया
देखा,
दूर कहीं अँधेरा फैला है
और बच्चों की सिसकती आवाज़,
मेरे दिल को भेद रही है।
हम वहाँ गए तो देखा,
करुण क्रन्दन हो रहा था
सब बैचेन थे कैसे दिवाली मनाएं…
जब पड़ोस में अँधेरा हो तो!
प्रिय,
हम कैसे दिवाली मनाएं,
फिर दीए लाकर दिए हमने
और मिठाई से शुभ किया हमने,
बच्चों को पटाखे दिए हमने।
फिर भी दिल उदास है,
कैसे मनाएं दिवाली हम!
माँ की आँखों में वो सूनापन,
क्या त्यौहार हमारे नहीं हैं!
बच्चे दूध और अच्छे खाने को तरसे,
तो प्रिय ऐसे में कैसे दिवाली मनाएं हम…॥

परिचय-गरिमा पंत की जन्म तारीख-२६ अप्रैल १९७४ और जन्म स्थान देवरिया है। वर्तमान में लखनऊ में ही स्थाई निवास है। हिंदी-अंग्रेजी भाषा जानने वाली गरिमा पंत का संबंध उत्तर प्रदेश राज्य से है। शिक्षा-एम.बी.ए.और कार्यक्षेत्र-नौकरी(अध्यापिका)है। सामाजिक गतिविधि में सक्रिय गरिमा पंत की कई रचनाएँ समाचार पत्रों में छपी हैं। २००९ में किताब ‘स्वाति की बूंदें’ का प्रकाशन हुआ है। ब्लाग पर भी सक्रिय हैं।

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