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दीपावली सजाओ…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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दीपावली पर्व स्पर्धा विशेष ……

दीपावली सजाओ,दीपों से हो सबेरा।
है रात अमावस्या,पर दूर हो अंधेरा॥

वनवास काट लौटे,श्री राम अयोध्या को,
हैं साथ लखन-सीता,उजियारी अमावस्या हो।
दीपावली सजाओ…

भारत वतन हमारा,पहचान इसकी न्यारी,
रौशन करें जगत को,ये संस्कृति हमारी।
त्योहार-पर्व सारे,सबका मिलन कराते,
सब प्रेम-प्यार से ही सबको गले लगाते।
हर पर्व यहाँ सजता,हो ईद या दिवाली,
आशीष ईश का है,फिर कैसी समस्या हो॥
दीपावली सजाओ…

गणतंत्र ये वतन है हिन्दुस्तान कहते,
हिन्दी हमारी भाषा, इसपे ही गर्व करते।
ये सृष्टि की है रचना सूरज या चाँद आते,
किरणें जो सबसे पहले आकर यहीं बिछाते।
इक दीप ज्ञान का है जो बिन गुरूर जलता,
कैसे बने समस्या जब मन में तपस्या हो॥
दीपावली सजाओ…

भगवान राम आये,भारत को था सजाया,
कुछ दैत्य थे जिन्होंने,ऐश्वर्य को मिटाया।
आजाद अब वतन है,हर पल हो इसका रौशन,
चमके वतन जगत में,जब-तब हो साँस-धड़कन।
आओ सभी जलाएं,वो प्रेम दीप मन में,
दीपावली सभी की इस वर्ष अनन्या हो॥
दीपावली सजाओ…

परिचय-हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।

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