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दीप अभिवंदना

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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जगमग जीवन ज्योति (दीपावली विशेष)…

लघु दीपक है दिव्य आज तो, उससे अब तम हारा है।
जगमग जीवन ज्योति सुहाती, अभिवंदित उजियारा है॥

माटी की नन्हीं काया ने, गीत सुपावन गाया है।
उसका लड़ना तूफानों से, सबके मन को भाया है॥
कुम्हारों के कुशल सृजन पर, आज जगत सब वारा है,
जगमग जीवन ज्योति सुहाती, अभिवंदित उजियारा है…॥

घर-आँगन, हर छत-मुँडेर पर, बैठा नूर सिपाही है।
जो हरदम ही, निर्भय होकर, देता सत्य गवाही है॥
दीपक तो हर मुश्किल में भी, रहा कर्म को प्यारा है,
जगमग जीवन ज्योति सुहाती, अभिवंदित उजियारा है…॥

अवसादों को दूर हटाया, खुशियों का दामन थामा।
आज भावना हर्षाती है, दीप बालती है वामा॥
लघु दीपों ने प्रबल वेग से, अँधियारे को मारा है,
जगमग जीवन ज्योति सुहाती, अभिवंदित उजियारा है…॥

दीर्घ निशा निज ताप दिखाती, तिमिर बहुत गहराया है।
पर सूरज के लघु वंशज ने, आशा-ध्वज फहराया है॥
दीपों की अनगिनत अवलियाँ, गुंजित जय का नारा है,
जगमग जीवन ज्योति सुहाती, अभिवंदित उजियारा है…॥

घर-घर देखो दीपक शोभित, पर्व हृदय में पगा हुआ।
नवल जोश, विश्वास सजा है, भाव मांगलिक जगा हुआ॥
जीवन में उल्लास सजा है, आनंदित घर-द्वारा है,
जगमग जीवन ज्योति सुहाती, अभिवंदित उजियारा है…॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।