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नंद गृह शुभफल

सरोज प्रजापति ‘सरोज’
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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तिमिर गहन रितु, वीभत्स-वीभत्स रितु,
छम-छम कृष्ण रितु, घन घिर गरजे।

जनम अद्भुत पल, यशुमति हर्ष पल,
नंद गृह शुभफल, समस्त जन हर्षे।

विचलित रुद्र कंस, सहम-सहम कंस,
विकृत स्वरूप कंस, दुष्ट कंस गरजे।

खुलधर्म-कर्म पट, बहुरि बंधन पट,
पितु अचिंतित सट, जगत भय टरे।

भ्रमित तरंग सरि, जलधि सम भरि,
अनंत-अनंत धरि, भुजंग छत्र धरे।

यशोमती नंद गृह, भूरि-भूरि जश्न गृह,
मंगल-मंगल गृह, मद कुसुम झरे।

एकहि जन्म ललन, एकहि अंक झुलन,
एकहि विरह ललन, मातु-नयन हरे।

ठुमक मंद चलत, बलभद्र द्वि अच्युत,
अंतर प्रिय लगत, लघु चरण चले।

दिव्य जग स्तुति कर, जयशब्द घर भर,
उत्सव उत्सव पुर, कष्ट मनुज हरे।

करबद्ध अर्ज़ कृष्ण, सुन्दर स्मृति नयन,
दर्श अहर्निश कृष्ण, जनम कवि सधे॥

परिचय-सरोज कुमारी लेखन संसार में सरोज प्रजापति ‘सरोज’ नाम से जानी जाती हैं। २० सितम्बर (१९८०) को हिमाचल प्रदेश में जन्मीं और वर्तमान में स्थाई निवास जिला मण्डी (हिमाचल प्रदेश) है। इनको हिन्दी भाषा का ज्ञान है। लेखन विधा-पद्य-गद्य है। परास्नातक तक शिक्षित व नौकरी करती हैं। ‘सरोज’ के पसंदीदा हिन्दी लेखक- मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और महादेवी वर्मा हैं। जीवन लक्ष्य-लेखन ही है।