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नदिया, जुगुनू और सितारे

संजीव एस. आहिरे
नाशिक (महाराष्ट्र)
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नदिया पृथ्वी का मनमीत गीत गा रही है,
अलग-अलग आलाप सुनाती जा रही है
सुबह से शाम तक रात से सुबह तक अनवरत,
नये-नये संगीत के तराने सुनाती जा रही है।

बिल्ली के गुमसुम कदमों-सी संध्या लौटने लगी है हौले हौले,
बहुत देर तक संध्या और नदिया की बात होती रही,
मौन पाले
इस मौन में भी छिपे हैं कितने अर्थ, कितने सन्दर्भ, संवादों के निवाले,
तभी तो ढलती शाम में दोनों के चेहरे बन गए हैं हरफ़नमौला।

दोनों आकाश की बेटियाँ रोज मिलती है धरा पर,
जैसे कोई अप्सरा आलिंगनबद्ध होती हो उर्वरा पर
आकाश रोज भेज देता है काली रजनी क़ो हरी-हरी धरा पर,
दोनों बिछुड़कर जुदा-जुदा रजनी जो उतर आती है वसुंधरा पर।

नदिया निरंतर गाए जा रही है निरीह नीरव संगीत के तराने,
तमस की कालिख में उभरने लगे हैं नये-नये सुरीले अफसाने
कुछ जुगनुओं के झुण्ड निकले हैं टिम-टिम करते तमस हराने,
जुगनुओं के हौसलों क़ो बुलंद करने लगे हैं आसमान के सितारे सयाने।

तमस की घनी कालिख में उभरते जा रहे हैं नदिया के स्वर,
कुछ रातरंगी परिंदे अभी भी पानी पर भटक रहे हैं इधर-उधर
सितारों और जुगनुओं के अब खुलने लगे हैं एक-एक अधर,
नदिया के नीरव आलाप में घुलने लगे हैं झिलमिलाते स्वर-स्वर।

अब चाँद निकला है कुछ दूधिया कुछ हल्दी से सना-सना,
झिलमिलाते दूधिया प्रकाश से भर गया है नदिया का कोना-कोना।
चाँद गाने लगा है, नदिया गा रही है, सितारे बोल उठे वाह! क्या गाना,
सितारों की महफिल में शुक्र ने निकलकर अब बुन दिया भोर का ताना-बाना॥

परिचय-संजीव शंकरराव आहिरे का जन्म १५ फरवरी (१९६७) को मांजरे तहसील (मालेगांव, जिला-नाशिक) में हुआ है। महाराष्ट्र राज्य के नाशिक के गोपाल नगर में आपका वर्तमान और स्थाई बसेरा है। हिंदी, मराठी, अंग्रेजी व अहिराणी भाषा जानते हुए एम.एस-सी. (रसायनशास्त्र) एवं एम.बी.ए. (मानव संसाधन) तक शिक्षित हैं। कार्यक्षेत्र में जनसंपर्क अधिकारी (नाशिक) होकर सामाजिक गतिविधि में सिद्धी विनायक मानव कल्याण मिशन में मार्गदर्शक, संस्कार भारती में सदस्य, कुटुंब प्रबोधन गतिविधि में सक्रिय भूमिका निभाने के साथ विविध विषयों पर सामाजिक व्याख्यान भी देते हैं। इनकी लेखन विधा-हिंदी और मराठी में कविता, गीत व लेख है। विभिन्न रचनाओं का समाचार पत्रों में प्रकाशन होने के साथ ही ‘वनिताओं की फरियादें’ (हिंदी पर्यावरण काव्य संग्रह), ‘सांजवात’ (मराठी काव्य संग्रह), पंचवटी के राम’ (गद्य-पद्य पुस्तक), ‘हृदयांजली ही गोदेसाठी’ (काव्य संग्रह) तथा ‘पल्लवित हुए अरमान’ (काव्य संग्रह) भी आपके नाम हैं। संजीव आहिरे को प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में अभा निबंध स्पर्धा में प्रथम और द्वितीय पुरस्कार, ‘सांजवात’ हेतु राज्य स्तरीय पुरुषोत्तम पुरस्कार, राष्ट्रीय मेदिनी पुरस्कार (पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार), राष्ट्रीय छत्रपति संभाजी साहित्य गौरव पुरस्कार (मराठी साहित्य परिषद), राष्ट्रीय शब्द सम्मान पुरस्कार (केंद्रीय सचिवालय हिंदी साहित्य परिषद), केमिकल रत्न पुरस्कार (औद्योगिक क्षेत्र) व श्रेष्ठ रचनाकार पुरस्कार (राजश्री साहित्य अकादमी) मिले हैं। आपकी विशेष उपलब्धि राष्ट्रीय मेदिनी पुरस्कार, केंद्र सरकार द्वारा विशेष सम्मान, ‘राम दर्शन’ (हिंदी महाकाव्य प्रस्तुति) के लिए महाराष्ट्र सरकार (पर्यटन मंत्रालय) द्वारा विशेष सम्मान तथा रेडियो (तरंग सांगली) पर ‘रामदर्शन’ प्रसारित होना है। प्रकृति के प्रति समाज व नयी पीढ़ी का आत्मीय भाव जगाना, पर्यावरण के प्रति जागरूक करना, हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु लेखन-व्याख्यानों से जागृति लाना, भारतीय नदियों से जनमानस का भाव पुनर्स्थापित करना, राष्ट्रीयता की मुख्य धारा बनाना और ‘रामदर्शन’ से परिवार एवं समाज को रिश्तों के प्रति जागरूक बनाना इनकी लेखनी का उद्देश्य है। पसंदीदा हिंदी लेखक प्रेमचंद जी, धर्मवीर भारती हैं तो प्रेरणापुंज स्वप्रेरणा है। श्री आहिरे का जीवन लक्ष्य हिंदी साहित्यकार के रूप में स्थापित होना, ‘रामदर्शन’ का जीवनपर्यंत लेखन तथा शिवाजी महाराज पर हिंदी महाकाव्य का निर्माण करना है।