सरोज प्रजापति ‘सरोज’
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
***********************************************
श्राद्ध , श्रद्धा और हम….
नमन हे! पितृदेव तुम्हें सदा,
तुम पधार यहाँ शुभता सदा
इसलिए करके, सुश्रुषा सदा,
निज जनों पर नेह हस्त सदा।
पितर रौनक लेकर हैं सजे,
शुभ पावन आज, धरा सजे
अलविदा कह शांत हुए कभी,
कुल उन्नति सदाहि, रहे यहीं।
स्वजन आदर भाव, दिखा रहे,
विभिन्न भोजन थाल सजा रहे
सुखद जीवन, मंद नहीं रहे,
घर उत्सव अपार सजा रहे।
सुमन वारि पिण्ड तिल दान में,
मिलत भोज, वस्त्र, धन भेंट में
परख, देकर क्रौ-गऊ-श्वान को,
अभय पाकर श्राद्ध छुड़ा रहे।
विपुल संपति देकर छोड़ के,
निज सर्वस्व लुटा कर त्याग के
करुण हाथ पसार तुम्हें छूटे,
रहत जीवित थे तब ही रूठे।
गहन चिंतन दुःखद है, यही,
हृदय में मृत-मूर्त फर्क यही
मृत विशेष श्रद्धांजलि है यहीं
कठिन राह सभी सहते यहीं।
यह रिवाज़ निभाकर क्या मिले ?
तरस, नाखुश थे अब क्या मिले ?
यदि उद्घाटित वेद, तर्क दिखे,
नियम पालन चाल, तर्क रखें।
जग, उल्लंघन क्या करके जिएं,
सब यहाँ अनुसार ही, है जिएं।
स्मरण, रोल निभाकर ही निभे,
लकरी की पुतली बन ज्यों निभे॥
परिचय-सरोज कुमारी लेखन संसार में सरोज प्रजापति ‘सरोज’ नाम से जानी जाती हैं। २० सितम्बर (१९८०) को हिमाचल प्रदेश में जन्मीं और वर्तमान में स्थाई निवास जिला मण्डी (हिमाचल प्रदेश) है। इनको हिन्दी भाषा का ज्ञान है। लेखन विधा-पद्य-गद्य है। परास्नातक तक शिक्षित व नौकरी करती हैं। ‘सरोज’ के पसंदीदा हिन्दी लेखक- मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और महादेवी वर्मा हैं। जीवन लक्ष्य-लेखन ही है।