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नववर्ष है रचनात्मक तस्वीर के रेखांकन का

ललित गर्ग

दिल्ली
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नया सवेरा, नयी आशाएं, नए संकल्प…

नववर्ष मुड़कर एक बार अतीत को देख लेने एवं भविष्य को बुनने का स्वर्णिम अवसर। क्या खोया और क्या पाया, इस गणित को विश्लेषित करने एवं आने वाले कल की रचनात्मक तस्वीर के रेखांकन का प्रेरक क्षण। क्या बनाना है और क्या मिटाना है, इस अन्वेषणा में संकल्पों की सुरक्षा पंक्तियों का निर्माण करने के लिए अभिप्रेरित करने की चौखट है- नववर्ष। ’आज’, ‘अभी’, ‘इसी क्षण’ को पूर्णता के साथ जी लेने की जागृति का शंखनाद है नववर्ष। कल का अनुभव और आज का पुरुषार्थ ही भविष्य का भाग्य रच सकता है, इसी लिए नववर्ष के उत्सव की प्रासंगिकता को नकारा नहीं जा सकता। इसी लिए वर्ष २०२४ की असफलताओं एवं नाउम्मीदों पर पश्चाताप करने की बजाय उम्मीद, आशा एवं जिजीविषा को जीवंत करें। भले ही पछतावा जीवन का एक ऐसा सत्य है, जिसे नकारा नहीं जा सकता। हालांकि, हमें यह सलाह दी जाती है कि अतीत में क्या हुआ, क्या खोया एवं क्यों संकल्प पूरे नहीं हुए, इस पर पछताना ठीक नहीं। बीती बातों को याद करके दुखी होने से केवल मानसिक तनाव, निराशा एवं असंतोष ही उत्पन्न होगा। फिर भी हम पछतावे को हमारी जीवन यात्रा का अहम हिस्सा मानते हुए नववर्ष का स्वागत नए उजालों से करते हुए इसे प्रेरणा पर्व बनाएं।

नए की स्वीकृति के साथ पुराने को अलविदा कहने की इस संधिबेला में किंपलिंग की विश्व प्रसिद्ध पंक्ति याद आ रही है-‘पूर्व और पश्चिम कभी नहीं मिलते।’ पर मैं देख रहा हूँ कि पुराना और नया मिलकर संवाद स्थापित कर रहे हैं। जाता हुआ पुराना वर्ष नए वर्ष के कान में कह रहा है, ‘मैंने आंधियाँ अपने सीने पर झेली हैं, तू तूफान झेल लेना, पर मन के विश्वास को टूटने मत देना, संकल्प के दीपक को बुझने मत देना।’ नए भारत की २१ वीं शताब्दी के इस रजत जयन्ती वर्ष में इसी विश्वास को जीवंतता देने के लिए अपनी अनुकरणीय योजनाओं के साथ देश एवं दुनिया में सक्रिय होना है और अनूठा करना है। उसके लिए विश्वास एवं संकल्प वे छोटी-सी किरणें हैं, जो सूर्य का प्रकाश भी देती है और चन्द्रमा की ठण्डक भी। और सबसे बड़ी बात, वह यह कहती है कि ‘अभी सभी कुछ समाप्त नहीं हुआ। अभी भी सब कुछ ठीक हो सकता है।’

मनुष्य मन का यह विश्वास कोई स्वप्न नहीं, जो कभी पूरा नहीं होता। इस तरह का संकल्प कोई रणनीति नहीं है, जिसे कोई वाद स्थापित कर शासन चलाना है। यह तो इंसान को इन्सान बनाने के लिए ताजी हवा की खिड़की है। नए वर्ष की दस्तक आह्वान कर रही है कि अतीत की भूलों से हम सीख लें और भविष्य के प्रति नए सपने, नए संकल्प बुनें। अतीत में जो खो दिया उसका मातम न मनाएं। प्रयास यही रहे, कि हमारे विकास में यह रुकावट न डाल पाएं। जाते हुए वर्ष को अलविदा कहने एवं नए वर्ष का स्वागत करने की यह चौखट कल्पना, ईमानदारी और आत्ममंथन की मांग करती है, जिससे हम अपने जीवन के फैसलों को और अधिक सटीक और तर्कसंगत बना सकते हैं। नए साल की शुरुआत जीवन-शैली में बदलाव करने, बुरी आदतों को छोड़ने और अपने संकल्प को बेहतर बनाने के लिए एक बेहतरीन समय है। नए साल के सबसे लोकप्रिय संकल्पों में अधिक महत्वपूर्ण है अपने आत्मविश्वास को कमजोर न होने देना।