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नशे की विनाशलीला रचता युवा वर्ग

हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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महानगर हो या अन्य शहर, कल तक जो युवाओं को नई पीढ़ी को संस्कारवान बनने की दिशा दिखाते थे, वह अब खुद आज सिगरेट के धुएं से लेकर नशे में डूबे हुए हैं। शराब, बीयर व अन्य नशीले पदार्थ के सेवन की बिंदास तस्वीरें हर एक शहर की है। आखिर यह किस प्रकार का चरित्र है, व चित्रण में क्या-क्या देखने को मिलेगा ? अब शहरों की आबो-हवा में युवा पीढ़ी की इस नकारात्मक वैचारिक सोच और बेलगाम नशे में डूबता-उड़ते हर एक शहर व महानगर की यही कहानी है। आँकड़ों को देखें तो प्रत्येक १०० लोगों में ४०-४५ युवतियाँ खुलेआम सिगरेट के गुल उड़ाती मिल रही हैं। लड़कियाँ हों या लड़के, सभी फिल्म के उस नायक के गाना गाते हुए “हर एक फ़िक्र को धुएं में उड़ाता चला गया…।” जैसा बन रहे हैं। नयी पीढ़ी के युवक-युवतियाँ खुलेआम नशे के मकड़जाल में फंसते जा रहे हैं। आखिर ऐसी अभिव्यक्ति किस काम की है, जो अपने-आपको खत्म करने की राह दिखा रही है। नशे की हर एक चीज में वैधानिक चेतावनी लिखी रहती है “सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, इससे कैंसर हो सकता है” पर गुटखा-पाउच तो बच्चे भी खा रहे हैं, वहीं शराब आदि सभी नशे की चीजें और हर एक बुराई सामाजिक स्तर पर पतन का कारण बन रही है। इससे युवा पीढ़ी का मान-सम्मान भी खत्म होता है और योग्यता पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहा है। आखिर इस प्रकार की खुली छूट किस काम की है, जो हमारे भविष्य के लिए नुकसानदायक है। जीवन जीने के लिए है, तो फिर क्यों अपनी जान के दुश्मन हम बने हुए हैं।

समझना होगा कि नशे से जीवन बर्बादी की डगर पर चला जाता है। पहले बहुत से महानगर व शहरों में ‘नाइट कल्चर’ की पाश्चात्य संस्कृति चल रही थी, और अब भी चल रही है। बड़े शहरों में खुलेआम नशे का राज फ़ैलता जा रहा है। कहीं-कहीं महानगर में इस ‘नाइट कल्चर’ के ग़लत परिणाम भी सामने आ रहे हैं तो बहुत-सी जगह इस पर पाबंदी लगा दी गई है। शासन व प्रशासन कितने भी प्रयास करें, पर असली व सार्थक पहल तो युवा तरुणाई को ही करना है, जो नशे की बुराई से दूर रहे।
हर इंसान को इस बात की गंभीरता समझनी होगी कि नशे की विनाशलीला पर जकड़ता हुआ हर एक शहर बदरंग हो रहा है। दूरदराज़ के गाँव, छोटे से बड़े शहरों व महानगर में पढ़ने आने वाले युवक-युवतियाँ अकेले रहते हैं। आजाद विचारों के चलते गलत संगत में पड़ जाते हैं और अपनी आजादी का दुरुपयोग करते हैं। आज हजारों ₹ की सिगरेट व नशे में बर्बाद हो रहे युवा वर्ग ने माहौल को खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। आज शहरों में जो गर्म हवा चल रही है, उससे नवजीवन की तलाश में लगे छात्र-छात्राओं का सुनहरा भविष्य व जीवन दोनों ख़राब हो रहे हैं, जो युवा वर्ग को अपने आज़ में खोखला कर रहे हैं। इसलिए, नशे की बुराई से दूर रहने का प्रयास युवा पीढ़ी को करना चाहिए। क्लब, पब, कैफे और पान-सिगरेट के ठिओं पर जो भीड़ हो रही है, वह नयी पीढ़ी को बहकाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। हम सभी की जिम्मेदारी है कि युवा पीढ़ी को सही दिशा दिखाएं, जिससे उन्हें नशे की जकड़ से बाहर निकालने का प्रयास हो सके।