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नानक नाम जहाज…

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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नानक नाम जहाज है…
ननकाना के हैं यह भगवान,
उन्नत भाव है दिखता अभिमान
ननकाना है उत्तम जग भाया,
करतारपुर है अन्तिम छाया।
यह दर्शन है उन्नत सह पावन,
हर्षित कर देता है यह दिल और अन्तर्मन।
गुरु नानक देव की थी यह अंतिम साँस,
कहलाती है जो सर्वोत्तम अरदास।
रावी तट है पावन और सुंदर
सिक्खों के हैं पीर समन्दर।
अंग्रेजों की एक भूल का प्रहार,
आज पीड़ित हैं सब सिख परिवार।
ननकाना का है यह सरताज,
जन-जन में है खूब आवाज़।
ननकाना का है यह इतिहास,
करतारपुर है अन्तिम विश्वास।
नानक नाम जहाज है…,
सिक्खों के सरताज हैं।
सिखों का यह स्थल है जो अति सुंदर,
जगत में है जैसा रम्य मनोहर॥

परिचय-पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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