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नारी की महिमा भारी

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
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नारी और जीवन (अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस)….

नारी की महिमा भारी है,
हम नारी के आभारी हैं
नारी से ही जग है सारा,
हे नारी हम बलिहारी हैं।

यह जग ममता का भूखा है,
नारी ने जग को सींचा है
नारी है ममता की मूरत,
मन उसका पुष्प बगीचा है।

नारी ने जग उद्धार किया,
महिषासुर का संहार किया
जब धर्म पड़ा था संकट में,
देवी बनकर अवतार लिया।

झांसी की रानी भी नारी थी,
जो बैरी पर पड़ गई भारी थी
रणचंडी बन लड़ी थी रण में,
वीर योद्धाओं को मारी थी।

‘उमेश’ को भी प्यारी नारी,
माँ की गरिमा सबसे भारी।
जिसने जग में लाया हमको,
चरणों में उसके बलिहारी॥

परिचय–उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

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