प्रिया देवांगन ‘प्रियू’
पंडरिया (छत्तीसगढ़)
**********************************
राह देखती भैया जी की, साथ मायके जाती हैं,
खुश हो कर सब माता-बहनें,मिल-जुल तीज मनाती हैं।
पति की उम्र बढ़ाने को सब,निर्जल व्रत को करती है,
शिव-गौरी की पूजा करती,मन में श्रद्धा भरती है।
नए-नए पकवान बनाती,साथ बैठ कर खाती हैं,
खूब दिनों में मिलती बहनें,खुशहाली बिखराती हैं।
हँसी-ठिठोली करते रहते,बचपन यादें आती हैं,
बिछुड़ गई जो सखी-सहेली,मिलने उनसे जाती हैं।
घूम-घूम कर सभी नारियाँ,बाजारों में जाती हैं,
रंग-बिरंगी साड़ी लेकर,अपने घर पर आती हैं।
सालों का ये तीज तिहारी,मन में खुशियाँ लाती हैं,
खुशी-खुशी से सभी बेटियाँ,मन ही मन इठलाती हैं॥