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नूतन दीप जलाओ

सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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दिन ढलने दो सुर सजने दो,
घर-घर सगुन मनाने दो
नई उम्र की नई फसल को,
उठ कर दीया जलाने दो।

मन से मन के तार मिलाओ,
ज्योति से ज्योति जलाओ तुम
अंदर-बाहर का अँधियारा,
मिल कर आज मिटाओ तुम।

स्वप्न न टूटे आस न छूटे,
तम सारे हट जाने दो
कर सोलह श्रृंगार धरा को,
दुल्हन-सा सज जाने दो,

चहुँ दिशि यश वैभव सुख बरसे,
पूरे हों सारे सपने
नवल ज्योति से नव प्रकाश हो,
नई सोच सब हों अपने।

मौसम ने भी ली है करवट,
नई ऋतु आने वाली
ओढ़ के सुंदर धानी चुनर,
खेत की मुस्कानें बाली।

धरा हो हर्षित गगन हो हर्षित,
हर्षित हों सब नर-नारी।
नूतन दीप जलाओ सब मिल,
ज्योतिर्मय हो दुनिया सारी॥