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पसीने का अपमान है ये

संजीव एस. आहिरे
नाशिक (महाराष्ट्र)
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मुफ्तखोरी और राष्ट्र का विकास…

मुफ्तखोरी से बरगलाने की ये कौन-सी आँधी चली है,
स्वार्थ के चलते राष्ट्र लूटने की नेताओं की चाँदी पली है
पसीने की कीमत कम करने की देखो बाढ़-सी बरबादी चली है,
नेताओं के क्षुद्र स्वार्थ चलते, मुफ्त बाँटने की उन्मादी पली है।

ये सुविधा नहीं है मित्रों! ये तुमको खरीदने की कोशिशें हैं,
चंद टुकड़े डालकर जनता को, भरमाने की कोशिशें हैं
गर है दम तुम्हारी सेवाओं में तो, क्यों ये गर्माने की कोशिशें हैं,
मुफ्त का लालच दिखाकर सरेआम देश लूटने की कोशिशें हैं।

कोई मुफ्त बिजली पानी बाँटता, कोई कोट्यधीशों के कर्जे पाटता
कोई किसानों को देकर प्रलोभन, उनके वोट है जो लाटता
चुनावों का मौसम आते से ही, योजनाओं की खैरातें बाँटता,
बरगलाकर जनता को देश की, थोक में वोट को है पाटता।

अचानक बन जाती बहनाएं लाड़ली, खुल जाते खाते करोड़ों,
परिवहन की गाड़ियों के पुर्जे ढीले, बिन मरम्मत चाहे जैसी खदेड़ो
राजकोश में ठनठनाहट फिर भी, व्यवस्था की गर्दन मरोड़ो,
ये कौन-सी आँधी चली है, जो बाँटती चली है करोड़ों-करोड़ों।

मित्रों! नेताओं की चाल पहचानो, ये मुफ्तखोरी सिर्फ नकाब है
राष्ट्र जाए भाड़ में, बस सत्ता बनाए रखने का उनका ख्वाब है
जनता के पैसों से जनता को मुफ्त का नाम देकर किया हिसाब है
जनता से वसूले जाएंगे आखिर, मत समझना कोई आफ़ताब है।

जनता को मुफ्तखोरी की आदत बढ़ाने के परिणाम अब आने लगे हैं,
खेतों में काम करने को कोई तैयार नहीं, किसान अब रोने लगे हैं
मेहनतकशों की हर क्षेत्र में दिनों-दिन कमी के अंजाम अब खलने लगे हैं,
विचित्र सन्नाटा मेहनतकशों की बस्ती में, क्योंकि अन्न-क्षेत्र भी अब चलने लगे हैं।

पसीने का अपमान है ये आदत मुफ्तखोरी की,
किसानों का अवमान है ये आदत मुफ्तखोरी की।
करदाताओं का जुर्मान है ये आदत मुफ्तखोरी की।
उभरते राष्ट्र का अवसान है ये आदत मुफ्तखोरी की॥

परिचय-संजीव शंकरराव आहिरे का जन्म १५ फरवरी (१९६७) को मांजरे तहसील (मालेगांव, जिला-नाशिक) में हुआ है। महाराष्ट्र राज्य के नाशिक के गोपाल नगर में आपका वर्तमान और स्थाई बसेरा है। हिंदी, मराठी, अंग्रेजी व अहिराणी भाषा जानते हुए एम.एस-सी. (रसायनशास्त्र) एवं एम.बी.ए. (मानव संसाधन) तक शिक्षित हैं। कार्यक्षेत्र में जनसंपर्क अधिकारी (नाशिक) होकर सामाजिक गतिविधि में सिद्धी विनायक मानव कल्याण मिशन में मार्गदर्शक, संस्कार भारती में सदस्य, कुटुंब प्रबोधन गतिविधि में सक्रिय भूमिका निभाने के साथ विविध विषयों पर सामाजिक व्याख्यान भी देते हैं। इनकी लेखन विधा-हिंदी और मराठी में कविता, गीत व लेख है। विभिन्न रचनाओं का समाचार पत्रों में प्रकाशन होने के साथ ही ‘वनिताओं की फरियादें’ (हिंदी पर्यावरण काव्य संग्रह), ‘सांजवात’ (मराठी काव्य संग्रह),
‘पंचवटी के राम’ (गद्य और पद्य पुस्तक), ‘हृदयांजली ही गोदेसाठी’ (काव्य संग्रह) तथा ‘पल्लवित हुए अरमान’ (काव्य संग्रह) भी आपके नाम हैं। संजीव आहिरे को प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में अभा निबंध स्पर्धा में प्रथम और द्वितीय पुरस्कार, ‘सांजवात’ हेतु राज्य स्तरीय पुरुषोत्तम पुरस्कार, राष्ट्रीय मेदिनी पुरस्कार (पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार), राष्ट्रीय छत्रपति संभाजी साहित्य गौरव पुरस्कार (मराठी साहित्य परिषद), राष्ट्रीय शब्द सम्मान पुरस्कार (केंद्रीय सचिवालय हिंदी साहित्य परिषद), केमिकल रत्न पुरस्कार (औद्योगिक क्षेत्र) व श्रेष्ठ रचनाकार पुरस्कार (राजश्री साहित्य अकादमी) मिले हैं। आपकी विशेष उपलब्धि राष्ट्रीय मेदिनी पुरस्कार, केंद्र सरकार द्वारा विशेष सम्मान, ‘रामदर्शन’ (हिंदी महाकाव्य प्रस्तुति) के लिए महाराष्ट्र सरकार (पर्यटन मंत्रालय) द्वारा विशेष सम्मान तथा रेडियो (तरंग सांगली) पर ‘रामदर्शन’ प्रसारित होना है। प्रकृति के प्रति समाज एवं नयी पीढ़ी का आत्मीय भाव जगाना, पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करना, हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु लेखन-व्याख्यानों से जागृति लाना, भारतीय नदियों से जनमानस का भाव पुनर्स्थापित करना, राष्ट्रीयता की मुख्य धारा बनाना और ‘रामदर्शन’ से परिवार एवं समाज को रिश्तों के प्रति जागरूक बनाना इनकी लेखनी का उद्देश्य है। पसंदीदा हिंदी लेखक प्रेमचंद जी, धर्मवीर भारती हैं तो प्रेरणापुंज स्वप्रेरणा है। श्री आहिरे का जीवन लक्ष्य हिंदी साहित्यकार के रूप में स्थापित होना, ‘रामदर्शन’ का जीवनपर्यंत लेखन तथा शिवाजी महाराज पर हिंदी महाकाव्य का निर्माण करना है।