सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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देखो तुम सब देखो,
हर ओर कबाड़ा है
हम सबने डाला है।
सब्ज़ी फल और किराना,
सब प्लास्टिक में मिलता
जो कभी नहीं गलता।
कपड़ा, बर्तन, फैशन,
सबमें ये समाया है
क्यों इसको बनाया है ?
पर्वत, सागर, नदियाँ,
दूषित सब होती हैं
विष ही ये बोती हैं।
हर काम प्लास्टिक से,
हर माल प्लास्टिक में
पानी भी प्लास्टिक में।
करते हैं कुछ कोशिश,
पर व्यर्थ वो जाता है
बढ़ता नित जाता है।
हानि बहुत इससे है,
सब इसका अंत करो
थैले का प्रयोग करो॥