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पुरानी दीवार की यादें!

गोपाल मोहन मिश्र
दरभंगा (बिहार)
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पुरानी दीवारों पर पुते हुए,
नए पेंट के रंग उखड़ गए हैं
दीवार के पुराने दिन,
कहीं इनसे झाँकते से लगते हैं।

तुम्हारी उंगलियों से उकेरे हुए,
फूल अब भी मुस्कुराते हैं
इन्हीं दीवारों पर,
इन्हें वक्त का कोई निशाँ मुरझा ना सका।

मेरे नाम की स्याही,
पुराने दिनों की दीवार पर अब भी गहरी है…
कोई सिलवट तक नहीं आई उन लम्हों पर,
जिन्हें तुमने अपने होंठों से छू लिया था।

इन दीवारों को तुम्हारी खुशबू भी याद है,
इन्हें तुम्हारे पैरों की आहटें भी पता है…
इन्हें यकीन है, तुम फिर इनपे टिक कर
देर तक मुझे देखोगी, मुझसे बात करोगी।

ये दीवारें किसी रिश्ते से कम नहीं लगती,
ये दीवारें किसी कंधे से कम नहीं लगती
इन्हीं से लिपट तुम्हारी याद के फूल बोते थे,
इन्हीं से टिक के तुम्हारी उंगलियाँ छूते थे।

इन्हें तुम्हारे खत के हर शब्द याद हैं,
ये दीवारें नहीं मेरी रूह की किताब हैं।
तुम आना कभी, और छू के इनको,
मेरे सारे गुज़रे दिन पढ़ लेना॥

परिचय–गोपाल मोहन मिश्र की जन्म तारीख २८ जुलाई १९५५ व जन्म स्थान मुजफ्फरपुर (बिहार)है। वर्तमान में आप लहेरिया सराय (दरभंगा,बिहार)में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-ग्राम सोती सलेमपुर(जिला समस्तीपुर-बिहार)है। हिंदी,मैथिली तथा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले बिहारवासी श्री मिश्र की पूर्ण शिक्षा स्नातकोत्तर है। कार्यक्षेत्र में सेवानिवृत्त(बैंक प्रबंधक)हैं। आपकी लेखन विधा-कहानी, लघुकथा,लेख एवं कविता है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी भावनाएँ व्यक्त करने वाले श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक- फणीश्वरनाथ ‘रेणु’,रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गोपाल दास ‘नीरज’, हरिवंश राय बच्चन एवं प्रेरणापुंज-फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार नेतृत्व में बहुमुखी विकास और दुनियाभर में पहचान बना रहा है I हिंदी,हिंदू,हिंदुस्तान की प्रबल धारा बह रही हैI”

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