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पुस्तक हमारी सच्ची दोस्त

हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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‘क्या अच्छी दोस्त…? (विश्व पुस्तक दिवस विशेष)…

पुस्तकों का यह ज्ञान,
हमें प्रकाश की और ले जाता है
यह अन्धकारमय जीवन को रोशनी का संसार है,
और यह हम सभी के करीब है क्योंकि पुस्तक ही हमारी सच्ची दोस्त है।

रामायण, महाभारत, गीता व धार्मिक ग्रंथ,
यह मीरा, तुलसीदास, कबीर के छंद
हर एक गीत-दोहों में विचारों का संसार,
यह तभी हो सकता है जब
हमारे करीबी हमारी सच्ची दोस्त पुस्तक हो।

जो हम सभी के जीवन को सँवारती है,
ज्ञान के मोतियों से दिव्य प्रकाश फैलाती है
वह भटके हुए मन में लक्ष्य के प्रति ज्ञान बढ़ाती है,
वह हम सभी के करीब है,
क्योंकि पुस्तक ही हमारी सच्ची दोस्त हैं।

अब इन पुस्तकों को अलमारियों से निकालो,
इन्हें पढ़ने वालों को दो
ज्ञान से ज्ञान का रिश्ता बना रहने दो,
वह हम सभी के करीब है,
क्योंकि पुस्तक ही हमारी सच्ची दोस्त हैं।

इन्हें भूलो नहीं, अनदेखा मत करो,
किताबों में ज़ीने की कला है
इन पुस्तकों में जीवन का सार है।
वह हम सभी के करीब है,
क्योंकि पुस्तक ही हमारी सच्ची दोस्त हैं॥