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प्यारी वसुन्धरा

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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हे हमारी पावन वसुन्धरा, आपको मेरा चरण वन्दन,
यह माटी माथे तिलक लगाते हैं इसे समझ कर चन्दन।

हे माता तेरे ही आँचल में सोए हैं, वीर पुत्र-पुत्री अनेक,
प्यारी वसुन्धरा, भारतीयों को दीजिए बल बुद्धि विवेक।

हे धरा आपके ही आँचल में जन्म-मृत्यु, दु:ख-सुख पाते हैं,
यह चन्दन-सी माटी, अन्न उपजा कर, हम सभी खाते हैं।

हे ‘प्यारी वसुन्धरा’ धर्म पथ पर चलूँ, वैसा ज्ञान देना,
जग में नारी को लज्जित नहीं करें, ऐसा मान सम्मान देना।

भूल कोई हमसे ना हो, आशीष का आँचल माथे में रख देना,
पति धर्म,विधवापन निभा सकूं, माता ऐसी शक्ति दे देना।

मिटा डालूंगी धरती से, बेटी पर लिखी दहेज की कहानी,
रोकूंगी दहेज प्रथा, बनकर लक्ष्मी बाई झांसी की रानी।

हे ‘प्यारी वसुन्धरा’ हम नर-नारी, आपके ही बालक हैं माता,
आपकी ही गोद में पले-बढ़े हैं, राम-कृष्ण और माता-पिता।

उच्च शिखर पर बैठे हैं शंकर, हे वसुन्धरा आपके प्रांगण में,
चाँद पर घर बनाऊँगी, लेकिन सुख मिलेगा आपके आँगन में॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है

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