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प्रकृति है जीवन दायिनी

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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स्वच्छ जमीन- स्वच्छ आसमान…

आओ मिलकर प्रण करें,
धरती आकाश को स्वच्छ करें
पेड़ बचाएं, जल बचाएं,
सब मिलकर ये जतन करें।

प्रकृति है जीवन दायिनी,
क्यों इससे खिलवाड़ करें
फूले-फले सब जीव और जन्तु,
इनके लिए कुछ बलिदान करें।

कल-कल झरने गीत सुनाए,
प्रकृति मधुर उल्लास करे
हरे-भरे खेतों से सुसज्जित,
नित-नित नए श्रृंगार करे।

धरती माँ देती है भोजन,
हृदय से सम्मान करें
पालन-पोषण सभी का करती,
कैसे हम उपहास करें !

कभी न पहुंचे क्षति हमसे,
सम्भल-सम्भल कर कदम धरें।
धरती माँ ममता की मूरत,
आओ मिलकर नमन करें॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।

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