एम.एल. नत्थानी
रायपुर(छत्तीसगढ़)
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ठूँठ हो चुके पेड़ पर ही,
फिर छाई हरियाली है
ऋतुओं ने अंगड़ाई ली,
हर तरफ खुशहाली है।
पीताम्बरी परिधान पहने,
हवाओं में गुनगुनाते हैं
लाल केसरिया रंगों को,
लिए टेसू मुस्कराते हैं।
कोयल भी चहक कर ही,
हवाओं से बतियाती है।
फाग के राग से सजी हुई,
तान सुरीली सुनाती है॥