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सृष्टि की रचनाकार हो

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’
बरेली(उत्तरप्रदेश)
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नारी और जीवन (अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस विशेष)….

तुम केंद्र तुम धुरी,तुम सृष्टि की रचनाकार हो,
तुम धरती पर मूरत प्रभु की साकार हो।
तुम जगत जननी हो,तुम संसार रचयिता-
माँ बहन पत्नी जीवन में हर प्रकार हो॥

तुमसे ही ममता स्नेह प्रेम,जीवित रहता है,
मन सच्चा कभी कपट कुछ नहीं कहता है।
त्याग समर्पण का जीवंत स्वरूप हो तुम-
तन-मन में नारी तेरे प्यार का दरिया बहता है,॥

तुम से ही घर-आँगन और चारदीवारी है,
हरी-भरी जीवन की हर फुलवारी है।
तुमसे ही आरोहित संस्कार संस्कृति सृष्टि में-
तुमसे ही उत्पन्न होती बच्चों की किलकारी है॥

तुमसे ही बनती हर मुस्कान खूबसूरत है,
दया श्रद्धा की बसती साक्षात मूरत है।
तुझसे ही है मानवता का आदि और अंत-
चलाने को संसार प्रभु को भी,तेरी जरूरत है॥

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