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बड़े जतन से

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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टूटते हुए सामाजिक रिश्ते,
एक ग़म का पैगाम लेकर आता है
खुशियों की जगह,
बदरंग संसार का परचम फहराया जाता है
सामाजिक समरसता पर प्रहार कर,
सामाजिक ताने-बाने को
खत्म करने का प्रयोग और प्रयास किया जाता है,
राजनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में
यह प्रयोग किया जाता है।

हमें सम्हलकर रहने की जरूरत है,
बड़े जतन से सामाजिक ताना-बाना बुनकर रखने की जरूरत है,
तनाव के कारणों पर गम्भीरता से विचार करना चाहिए,
सामाजिक समरसता के लिए
मिल-जुलकर रहने की जरूरत है,
सामाजिक सौहार्द और मेल-जोल बढ़ाए रखने के लिए,
इसकी बढ़ रही अहमियत है।

अस्मिता की रक्षा बेहद जरूरी है,
कट्टरता खत्म हो
यह सामाजिक समरसता के लिए,
एक सही और सटीक मजबूरी है।

संवाद और लचीलापन बनाकर,
संवाद की पहल को अमलीजामा पहनाया जाए,
खंडित करने वाले लोगों को
त्वरित गति से पहचाना जाए।

यह सब-कुछ हमें बड़े ही,
उन्नत भाव से करना होगा।
सामाजिक समरसता को आगे बढ़ाने में
हर क़दम फूंक-फूंक कर रखना होगा॥

परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।