ऋचा गिरि
दिल्ली
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अब मैं,
मैं नहीं रही।
सत्य को सत्य नहीं कहती,
झूठ को झूठ नहीं कहती
दर्प को दर्प नहीं कहती,
नम्र को नम्र नहीं कहती
अल्हड़ को अल्हड़ नहीं कहती,
सरल को सरल नहीं कहती
निरीहता को निरीहता नहीं कहती।
मशीनों के प्रभाव में हूँ,
इनपुट-आउटपुट के दायरे में
बाइनरी नम्बर समझने लगी हूँ॥