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बारात…

डॉ. सोमनाथ मुखर्जी
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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‘बारात’ में जाने की बात सुनकर किसे न अच्छा लगता है। सब लोग एक से एक कपड़े में सज-धजकर बैंड-बाजा,रौशनी,डीजे की धुन के साथ थिरकते हुए रास्ते से जब जाते हैं,तब शहर,क़स्बा या गाँव के लोग बड़े ध्यान से देखते हैं कि कौन,क्या पहना हुआ है और कैसे-कैसे नाच रहे हैं। बारात में जाने की बात सुनकर खासकर महिलाओं की ख़ुशी में चार चाँद लग जाते हैं। बारात में जाने पर उनकी जो आवभगत,खातिरदारी होती है,उन्हें यह बहुत अच्छा लगता है।
शिवा मेरा बहुत अच्छा दोस्त है,मुझे उसने अपने शादी पर आने का निमंत्रण तो दिया, पर बारात में ले जाने के लिए साफ़ मना कर दिया। उसने बारात में केवल खास दोस्तों को ही आमंत्रित किया था। मैंने जब इसका कारण पूछा,तब उसने कहा-देखो यार तुम मेरी बारात में ले चलने के लायक नहीं हो। मैंने अपनी शर्म-हया त्याग कर जब उससे इसका कारण पूछा,तब उसने जो बताया वह सुनकर मैं अचंभित रह गया।
शिवा ने बताया कि उसने बारात तथा बारातियों के विषय में काफी अध्ययन किया है,तथा इसके लिए कुछ बारात में भी बिन बुलाए शामिल होकर पता लगाया है कि अच्छे बारातियों में क्या गुण होना चाहिए,जिससे दूल्हे और उसके परिवार वालों को मजा आ जाए और लोग देखते रह जाएँ। दुल्हन पक्ष भी बारातियों की शान-शौकत और अदाएं देखकर कायल हो जाए। सभी लोग वाह-वाह करते हुए बोलने लगें कि बारात हो तो शिवा के शादी के जैसी…।
मैंने शिवा से उसकी बारात में शामिल होने के लिए क्या-क्या गुण होना चाहिए,के विषय में पूछ ही लिया। भले ही वह मुझे बारात में नहीं ले जा रहा है, पर बारात में जाने के लिए दोस्तों में क्या विशेषता होना चाहिए,यह मेरे लिए भी जानना जरूरी था ताकि मैं मेरे दूसरे दोस्तों की बारात में जा सकूँ।
शिवा ने बताया कि,बारात में जाने के लिए नागिन डांस जानना बेहद जरूरी है। रास्ते में लेट-लेटकर नागिन संगीत की धुन पर सपेरा बना आदमी जो कि अपने रुमाल को बीन की तरह बनाकर नचा रहा होता है,उसका साथ देना बहुत जरूरी है। उसके बाद उसे भांगड़े की धुन में भी पंजाबी शैली में नाचना आना चाहिए,तथा एक अच्छे बाराती को और भी कई तरह का नाच डी-जे संगीत के साथ आना चाहिए। मैं तुम्हें अपनी शादी के बारात में इसलिए नहीं ले जाना चाहता हूँ क्योंकि तुम पीते नहीं हो। मुझे समझ में नहीं आया कि शिवा कहना क्या चाह रहा है। मैंने बोला,भाई शिवा मैं पीता नहीं मतलब! मैं रोज सवेरे और शाम को कसरत करने के बाद २-२ सेर दूध पी जाता हूँ और तो और मैं एक बार में करीब १ लीटर पानी भी पी जाता हूँ। तूने भी तो कई बार मुझे अखाड़े और घर में पीते हुए देखा है।
शिवा बोला,तुम अखाड़ेवाले पीने का मतलब सिर्फ दूध ही समझते हो,मैं शराब पीने की बात कर रहा हूँ। बाराती लोगों में थोड़ी-सी शराब के सेवन के बाद एक अनोखी ऊर्जा का संचार होता है…जो अनायास ही उन्हें डी-जे की धुन के साथ शुरू से अंत तक थिरकने को मजबूर कर देता है। कभी-कभी तो ये लोग डी-जे बंद होने के बाद जनरेटर की आवाज में भी नाचते हैं…बारात में जाने के लिए लोग दिखने में ख़ूबसूरत,थोड़ा-बहुत सुविज्ञ होना चाहिए और पहनावा राजा-महाराजा जैसा होना चाहिए। मैंने उसे टोक दिया कि,भाई तू यह बोल न कि तुझे बैंड-पार्टी वाली ड्रेस पसंद है।
शिवा बुरा मान गया। बोला,तुम्हें बारात में नहीं ले जा रहा हूँ इसीलिए तुम ऐसी उलटी-सीधी बातें कर रहे हो। मैं बोला,भाई शिवा मैं तो देखने-सुनने में भी अच्छा-खासा हूँ,तू अगर चाहे तो मैं राजा-महाराजा वाली ड्रेस भी सिलवा लूँगा,बस शराब पीना या नाच,मुझसे नहीं हो पाएगा। तेरे इसी मापदण्ड में मैं खरा नहीं उतर पाउँगा। अगर तू बोले तो मैं अपने अखाड़े से मुगदर या गदा अपने साथ लेकर तेरे बाजू में रहूँगा, उससे तेरा प्रभाव भी बहुत अच्छा पड़ेगा,पर मैं समझता हूँ कि तू ऐसा नहीं कहेगा। खैर कोई बात नहीं,बारात में भले ही तू मुझे नहीं ले जा रहा है,पर मैं तेरी शादी में जरूर आऊंगा।
निश्चित दिन मैं शादी के मंडप में शिवा की बारात का इंतजार कर रहा था। बारात शाम को करीब ६ बजे आनी थी,पर देखते-देखते ७,फिर ८,फिर ९ बज गए। लड़की पक्ष वालों में बेचैनी साफ़ नज़र आ रही थी। वे बार-बार अपने लोगों को भेज रहे थे कि देखो बारात कहाँ तक पहुंची है। उनके लोग वापस आकर कह रहे थे कि,बैंड की बड़ी जबरदस्त धुन पर नाचते हुए बारात फलानी जगह पहुंची है…और साथ में आतिशबाजी भी जबरदस्त हो रही है…। निमंत्रित अतिथियों के लिए रात करीब १० बजे खाना-पीना भी शुरू करवा दिया गया। कई लोग तो अपने द्वारा लाए उपहार-सामग्री लड़की को देकर बिना खाए-पीए ही विदा हो गए। सबेरे ६ बजे शादी के लिए किराए में लिया गया भवन भी छोड़ना था। लड़की के माता-पिता तथा अन्य रिश्तेदार परेशान हो गए थे कि,आखिर में यह बारात है कहां..? रात के करीब १० दस बजे मुकेश,जो बारात में था,शादी के मंडप में लंगड़ाते-लंगड़ाते पहुंचा और बोला कि बारात को पुलिस थाने में रोक कर बैठा लिया गया है। पुलिस ने बहुत डंडा बजाया,मुझे पैरों में चोट आई है, पर मैं किसी तरह वहां से निकलकर भाग आया। मेरे कपड़े धुलाई से वापस नहीं आए थे, इसीलिए मैं साधारण कपड़े में ही बारात में पहुंचा था। मुझे इस तरह देखकर शिवा ने बहुत बुरा-भला कहा,पर आज इसी साधारण कपड़े के कारण पुलिस वालों ने मुझे बारात में शामिल नहीं समझा और छोड़ दिया। अब आप लोग जाइए और उन्हें छुड़ाने का बंदोबस्त कीजिए।
मैंने तुरंत गाड़ी निकाली और लड़की के पिता को साथ बैठाकर पुलिस थाना पहुंचा। वहां का माजरा ही कुछ और था…। दूल्हे राजा के लिए किराए में ली गई घोड़ा गाड़ी थाने के सामने खड़ी हुई थी..। बैंड पार्टी वालों का ढोलक,बाजा इत्यादि भी थाने के सामने पड़े थे…। डी-जे की गाड़ी भी एक किनारे खड़ी थी…। जब मैं लड़की के पिता को लेकर थाने के अंदर गया तो देखा कि सभी बारातियों को बड़े हाल में नीचे बैठाया गया था,केवल दूल्हे को कुर्सी दी गई थी..। सभी बारातियों के कपड़े धूल-धुसरित थे…। बैंड पार्टी वाले भी दुबक कर घोड़े वाले के साथ एक कोने में बैठे-बैठे भिन्ना रहे थे..।
थानेदार के पास मिलने कमरे में पहुंचा तो देखा कि थानेदार मेरा दोस्त रवि था। हम दोनों महाविद्यालय के दिनों के साथी थे। उसे मैंने आने का कारण बताया,और बारात को थाने में रोकने का कारण पूछा। तब रवि ने जो कारण बताया,उसे सुनकर हमारी हँसी नहीं थम रही थी।
उसने बताया कि,लगता है बारातियों को शराब का सेवन कुछ ज्यादा ही हो गया था। थाने के पास जो व्यस्त चौराहा है,वहां बारात पहुँचने के बाद जम कर डीजे और बैंड के साथ-साथ बाराती नाच रहे थे। इतने में किसी ने नागिन धुन की फरमाइश की,तो नागिन की धुन बजने लगी। २-३ बाराती नागिन बनकर नाचने लगे। तब तक तो ठीक था,पर जब लौटने वाला सीन आया तो बाराती रास्ते से उठने का नाम नहीं ले रहे थे..। चौराहे पर जबरदस्त यातायात जाम हो गया था। आतिशबाज को भी, लगता है ज्यादा चढ़ गई थी,उसने राकेट ऊपर छोड़ने की जगह रास्ते पर सुलाकर छोड़ दिया था। काफी लोग जल जाते,पर किस्मत अच्छी थी कि कुछ हुआ नहीं। जब हम वहां पहुँचकर उन्हें रास्ते से हटाने की कोशिश कर रहे थे, तो सभी बाराती नशे में पुलिस वालों से हाथापाई करने लग गए। हमारे पास और कोई रास्ता नहीं बचा था,इसलिए हमने सभी को थाने में बैठा लिया। अब जब तुम लड़की के पिता को साथ लेकर आए हो तो तुम्हारे मुचलके पर मैं दूल्हे को शादी के लिए छोड़ देता हूँ,पर यह सभी बाराती रात को थाने में ही रुकेंगे। कल सबेरे इनकी पेशी होगी, उसके बाद देखते हैं, क्या होता है।
मैं और लड़की के पिता,शिवा को अपनी गाड़ी में बिठा कर शादी के मंडप पर ले आए। लड़की के माता-पिता मेरे बहुत अहसानमंद थे,और शिवा बहुत लज्जित था। आखिर शिवा की बात सच निकली,इतने साल बाद भी सभी लोग शिवा की बारात को याद करते हैं और पुलिस द्वारा जहाँ-जहाँ पर डंडा पड़ा था,उसे सहलाते हैं…।

परिचय- डॉ. सोमनाथ मुखर्जी (इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस -२००४) का निवास फिलहाल बिलासपुर (छत्तीसगढ़) में है। आप बिलासपुर शहर में ही पले एवं पढ़े हैं। आपने स्नातक तथा स्नाकोत्तर विज्ञान विषय में सीएमडी(बिलासपुर)एलएलबी,एमबीए (नई दिल्ली) सहित प्रबंधन में डॉक्टरेट की उपाधि (बिलासपुर) से प्राप्त की है। डॉ. मुखर्जी पढाई के साथ फुटबाल तथा स्काउटिंग में भी सक्रिय रहे हैं। रेलवे में सहायक स्टेशन मास्टर के पद से लगातार उपर उठते हुए रेल के परिचालन विभाग में रेल अधिकारी के पद पर पहुंचे डॉ. सोमनाथ बहुत व्यस्त रहने के बावजूद पढाई-लिखाई निरंतर जारी रखे हुए हैं। रेल सेवा के दौरान भारत के विभिन्न राज्यों में पदस्थ रहे हैं। वर्तमान में उप मुख्य परिचालन (प्रबंधक यात्री दक्षिण पूर्व मध्य रेल बिलासपुर) के पद पर कार्यरत डॉ. मुखर्जी ने लेखन की शुरुआत बांग्ला भाषा में सन १९८१ में साहित्य सम्मलेन द्वारा आयोजित प्रतियोगिता से की थी। उसके बाद पत्नी श्रीमती अनुराधा एवं पुत्री कु. देबोलीना मुख़र्जी की अनुप्रेरणा से रेलवे की राजभाषा पत्रिका में निरंतर हिंदी में लिखते रहे एवं कई संस्था से जुड़े हुए हैं।

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