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बिछड़े हुए लोगों से

आर.पी. तिवारी स्वदेश
बांदा (उत्तर प्रदेश)
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बिछड़े हुए लोगों से,
गुरेजा न हुआ कर।
बीते हुए लम्हों को,
कुछ याद किया करll

जो भूल गए तुझको,
आगाजे-सफर में।
भूल से ही उनसे,
मिलने की दुआ करll
बिछड़े हुए लोगों से,
गुरेजा न हुआ कर…

ऐ दोस्त तुझे दुश्मन,
की पहचान कहां है।
महफिले-यारा में,
मोहतात रहा करll
बिछड़े हुए लोगों से
गुरेज़ा न हुआ कर…

हर वक्त का हँसना,
तुझे बर्बाद न कर दे।
तन्हाई के लम्हों में,
कभी रो भी लिया करll
बिछड़े हुए लोगों से,
गुरेजा न हुआ कर…

पहले-सा कहां अब,
तेरी रफ्तार का आलम।
ये गर्दिशे-सफर है,
थम-थम के चला करll
बिछड़े हुए लोगों से,
गुरेजा ना हुआ कर…

बीते हुए लम्हों को,
कुछ याद किया करll
(इक दृष्टि यहाँ भी:गुरेज़ा=कतराया (कतराना),मोहतात=सजग)

परिचय-आर.पी. तिवारी का साहित्यिक उपनाम `स्वदेश` हैl ४ जून १९७३ को बांदा (उत्तर प्रदेश)में जन्में श्री तिवारी का वर्तमान बसेरा पटियाला कैम्प में है,जबकि स्थाई निवास बांदा स्थित जयोति नगर में हैl हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाले उत्तर प्रदेश निवासी स्वदेश की पूर्ण शिक्षा स्नातक हैl आपका कार्यक्षेत्र-भारतीय सेना में जे.सी.ओ. का हैl सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत निदेशक(मोटिवेशनअकादमी)हैंl लेखन विधा -गीत,ग़ज़ल तथा कविता हैl आपके गीतों का साझा संकलन जल्दी ही प्रकाशित होने जा रहा है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में भारतीय सेना द्वारा आयोजित हिन्दी पखवाड़े में लगतार ३ वर्ष प्रथम पुरस्कार,कुंभ मेले में काव्य संध्या में महामंडलेश्वर द्वारा सम्मान प्रमुख हैं। श्री तिवारी की विशेष उपलब्धि
आकाशवाणी प्रयागराज से कुंभ वाणी विशेषांक(२०१९) और पुलवामा आतंकी हमले पर शौर्य गाथा विशेषांक(२०१९) में कविताएं प्रसारित होना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-आत्म संतोष,मंच और प्रकाशन है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-श्रद्धेय बच्चन जी, अटल जी हैं तो प्रेरणापुंज-बच्चन जी एवं डॉ. कुमार विश्वास हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“
मैं तो इतना जानता हूँ कि,
हिन्दी है तो हिन्दुस्तान है…
हिन्दुस्तान है तो हिन्दी है,
और ये दोनों हैं तो देश है…
और तभी हम हैं। “

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