सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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लाल क़िला दिल्ली के ऊपर,
झंडा जो लहराता है
बीत चुके जो दिन भारत के,
उसकी याद दिखाता है।
त्याग दिया तन लड़ते-लड़ते,
लक्ष्मी बाई मर्दानी ने
और शिवा जी छत्रपति ने,
भगत सिंह बलिदानी ने।
याद करो राणा प्रताप,
अपने प्रण पर जो अडे़ रहे
बलिदानों को याद करो,
अपनी हिम्मत से खडे़ रहे।
वीर भगतसिंह की गाथा का,
लोहा सभी ने है माना
शूली पर चढ़ गए वतन के लिए,
नहीं कुछ दु:ख जाना।
खून मुझे दो तुम्हें आज़ादी,
देकर मैं दिखलाऊँगा
आज़ादी की क़ीमत क्या,
होती है मैं बतलाऊँगा।
ऐसे-ऐसे वीर हमारे सैनिक,
हमसे ये कहते
है अमूल्य आजादी अपनी,
तुम इसकी क़ीमत जानो।
तन से मन से बड़ी लगन से,
आगे बढ़ते जाना है।
पूरी दुनिया देख रही,
कुछ करके दिखलाना है॥