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बेबी दीदी

वीना सक्सेना
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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उस दिन मंदिर में मुझे बेबी दीदी दिखीl बेबी दीदी शर्मा अंकल की बड़ी बेटी थी..और हमारी ही कॉलोनी में रहती थी,परंतु आज वह कुछ अलग ही लग रही थी..बाल पूरे सफेद हो गए थे,चेहरा थका हुआ था..और कपड़े भी कोई खास नहीं पहनी थी..l
यह वही बेबी दीदी थी,जो कभी अपने पहनने-ओढ़ने और ठसक के लिए जानी जाती थी..शर्मा साहब सिविल विभाग में बड़े इंजीनियर थे..और यह उनकी तीन बेटियों में सबसे बड़ी बेटी थी…l इसलिए,बचपन से बहुत ही ठाठ-बाट और नखरे के साथ रही थी..l बड़े होने पर इनकी शादी भी विद्युत विभाग के इंजीनियर से हो गई थी..तो इनका वहां भी जलवा बरकरार थाl दो बच्चे थे-एक बेटा और एक बेटी,अब दोनों की शादी हो गई थी..l
मैंने बेबी दीदी से पूछा-बेबी दीदी क्या हुआ,तबीयत ठीक है ना… ! उन्होंने कहा,हाँ..
आजकल आप दिखाई नहीं देती,कहीं बाहर रहती हो…
उन्होंने बोला-हाँ..l
मैंने पूछा कहां..तो कहने लगी-उत्तराखंड के एक वृद्ध आश्रम में…l
मैंने कहा-वृद्ध आश्रम में ? वहां क्यों…?
उन्होंने कहा-वहाँ बुजुर्गों की देखभाल अच्छी होती है,और और समय-समय पर स्वास्थ्य संबंधी जांच वगैरह भी होती रहती है..खाली समय में मैं अपनी इच्छानुसार सामने आश्रम की कुछ बच्चियों को सिलाई सिखाती हूँ..l अब मेरे जीवन को एक मकसद मिल गया है…l
पर आपका बेटा तो अमेरिका में है ना..!
उन्होंने कहा-हाँ.. बेटा भी,और बेटी भी..और एक ही शहर में एक ही अपार्टमेंट में दोनों रहते हैं…
कहते-कहते उनके चेहरे पर हल्की-सी खुशी आ गई..तो मैंने कहा-
ये तो बहुत अच्छा है,फिर आप उनके साथ क्यों नहीं रहती…उत्तराखंड में क्यों रहती हैं…? वह चुप हो गई..ज्यादा पूछने पर उन्होंने मुझे बताया-सन २००६ में उनके पति का देहांत हो गया था..उसके बाद बेटा उन्हें अपने साथ अमेरिका ले गया था..वहां बहू और बेटा दोनों नौकरी करते थे..बेबी दीदी के दो पोते भी थे…वहां ये अपनी बहू के घरेलू कामकाज में हाथ बंटा देती थी…l धीरे-धीरे बेटे का पूरा परिवार बेबी दीदी पर ही निर्भर करने लगा… जो काम ये शौक से करती थी,अब मजबूरी बन गया था..l
सुबह उठना,बहू-बेटे का टिफिन लगाना..बच्चों को स्कूल भेजना,कपड़े प्रेस करना…शाम को बेटा-बहू ऑफिस से थके हुए आते तो उन्हें गरम खाना परोसना और ये सब उन्हें करना पड़ता था…l बच्चों को स्कूल से आने के बाद उनकी स्कूल बैग,यूनिफॉर्म,शूज वगैरह जगह पर रखती थीl अमेरिका में नौकर तो होते नहीं,इसलिए सारा काम बेबी दीदी को ही करना पड़ता था..ऐसा लगता था जैसे वो बच्चों की दादी नहीं,आया हो..l बहू भी उन्हें छोटी-छोटी बातों में नौकर की तरह डांटने लगी थी…l ये बात उन्हें अच्छी नहीं लगती थी…l उन्हें न तो बेटे-बहु से,और न बच्चों से कोई प्यार और आदर मिलता था..l धीरे-धीरे उनकी उम्र बढ़ रही थी,और उनसे अब उतना काम भी नहीं होता था…l सब-कुछ मशीन जैसा लगता था।कभी-कभी वो अपनी बेटी के यहां जो इसी अपार्टमेंट में रहती थी,उसके यहां चली जाती थी,पर वहां भी कमोबेश उनका यही हाल था..l काम करो बस..इससे आपके हाथ-पांव चलते रहेंगे..वरना कौन सम्भालेगा..l बेटी बोलती तो वो सहम ही जाती..सही में कौन सम्भालेगा ? कहाँ फंस गई व्यस्त लोगों में,जिनके पास अपनों के लिए भी समय न हो।
इन सब बातों से घबराकर बेबी दीदी ने दस साल बाद भारत आने की इच्छा जताई..तो बेटे ने मना कर दिया..l भारत में कौन आपकी देखभाल करेगा..कहकर पासपोर्ट जब्त कर लिया..l बड़ी मुश्किल से संपत्ति का बहाना बनाकर भारत आई हैं..इसीलिए आज मुझे दिख गई..l मकान बेच दिया-मैंने पूछा..
बोली-नहीं,रंग-रोगन कराकर किराए से दे रही हूँ..l
तो क्या विदेश में अकेले माँ-बाप के साथ ऐसा होता है..शायद सबके साथ नहीं..या फिर होता भी होगा…क्या पता…!!

परिचय : श्रीमती वीना सक्सेना की पहचान इंदौर से मध्यप्रदेश तक में लेखिका और समाजसेविका की है।जन्मतिथि-२३ अक्टूबर एवं जन्म स्थान-सिकंदराराऊ (उत्तरप्रदेश)है। वर्तमान में इंदौर में ही रहती हैं। आप प्रदेश के अलावा अन्य प्रान्तों में भी २० से अधिक वर्ष से समाजसेवा में सक्रिय हैं। मन के भावों को कलम से अभिव्यक्ति देने में माहिर श्रीमती सक्सेना को कैदी महिलाओं औऱ फुटपाथी बच्चों को संस्कार शिक्षा देने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। आपने कई पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया है।आपकी रचनाएं अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुक़ी हैं। आप अच्छी साहित्यकार के साथ ही विश्वविद्यालय स्तर पर टेनिस टूर्नामेंट में चैम्पियन भी रही हैं। `कायस्थ गौरव` और `कायस्थ प्रतिभा` सम्मान से विशेष रूप से अंलकृत श्रीमती सक्सेना के कार्यक्रम आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर भी प्रसारित हुए हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं में अनेक लेख प्रकाशित हो चुके हैंl आपका कार्यक्षेत्र-समाजसेवा है तथा सामजिक गतिविधि के तहत महिला समाज की कई इकाइयों में विभिन्न पदों पर कार्यरत हैंl उत्कृष्ट मंच संचालक होने के साथ ही बीएसएनएल, महिला उत्पीड़न समिति की सदस्य भी हैंl आपकी लेखन विधा खास तौर से लघुकथा हैl आपकी लेखनी का उद्देश्य-मन के भावों को अभिव्यक्ति देना हैl

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