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भारत प्रदूषणमुक्त कैसे हो ?

डॉ.वेदप्रताप वैदिक
गुड़गांव (दिल्ली) 
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दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी दिल्ली को माना जाता है। इस दिवाली के दौरान दिल्ली ने इस कथन पर अपनी मोहर लगा दी है। दिल्ली के प्रदूषण ने भारत के सभी शहरों को मात कर दी है। वायू प्रदूषण सूची के मुताबिक प्रदूषण का आँकड़ा ५० अच्छा,१०० तक संतोषजनक,३०० तक खतरनाक,४०० तक ज्यादा खतरनाक और ५०० तक अत्यंत खतरनाक माना जाता है,लेकिन आप अगर इस दिवाली पर दिल्ली के प्रदूषण की हालत जान लेंगे तो दंग रह जाएंगे। इस बार दिल्ली के आस-पास और दिल्ली के अंदर कुछ इलाकों में वायु-प्रदूषण ११०० अंकों को भी पार कर गया है। ऐसा कहा जाता है कि अकेली दिल्ली में २०१९ में सिर्फ प्रदूषण से १७५०० लोगों की मौत हुई थी। इस साल मरने वालों की संख्या पता नहीं कितनी ज्यादा निकलेगी। प्रदूषण के कारण बीमार होनेवालों की संख्या तो कई गुना होगी। प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य की जो अप्रकट हानि होती रहती है, उसे जानना और नापना तो कहीं ज्यादा मुश्किल है। यह तब है,जबकि दिल्ली में आप पार्टी की बड़ी जागरुक सरकार है और अत्यंत प्रचारप्रिय प्रधानमंत्री का दिल्ली में राज हैं। यह ठीक है दिल्ली के मुख्यमंत्री और भारत के प्रधानमंत्री खुद पटाखेबाज नहीं हैं और उन्होंने लोगों से अपील भी की कि वे पटाखेबाजी से परहेज करें लेकिन लोगों पर उनका कितना असर है,यह प्रदूषण की मात्रा ने सिद्ध कर दिया है। लोगों के दैनंदिन आचरण में परिवर्तन ला सकें,ऐसे नेताओं का आज देश में अभाव है। हमारे पास कोई महर्षि दयानंद,गांधी या सुभाष जैसे नेता नहीं हैं तो कोई बात नहीं,लेकिन इतने साधु-संत,मुल्ला-मौलवी और पादरी-पुरोहित क्या कर रहे हैं ? उन्होंने अपने अनुयायियों को क्या कुछ प्रेरित किया ? दिवाली के अलावा भी दर्जनों त्यौहार भारतीय लोग मनाते हैं लेकिन क्या उनमें वे पटाखे छुड़ाते हैं ? नहीं,तो क्या वे त्यौहार फीके हो जाते हैं ? यों भी दिवाली और पटाखेबाजी का कोई अन्योन्याश्रित संबंध नहीं है। दोनों एक-दूसरे के पर्याय नहीं हैं अर्थात ऐसा नहीं है कि यदि एक नहीं होगा तो दूसरा नहीं होगा। पटाखेबाजी तो दो-चार दिन ही चलती है,लेकिन प्रदूषण फैलता है कई अन्य कारणों से। जैसे धूल उड़ना,पराली जलाना,वातानुकूल की बढ़ोतरी,पुराने ट्रकों,कारों और रेल-इंजिनों का दौड़ना,कोयले से कारखाने चलाना। इन सब प्रदूषणकारी कामों पर रोक लगे या इन्हें घटाया जाए,तब जाकर हम उस लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं,जिसकी घोषणा ग्लासगो के जलवायु सम्मेलन में करके हमारे प्रधानमंत्री ने सारी दुनिया की वाहवाही लूटी है। सबसे पहले हमें पश्चिम की उपभोक्तावादी जीवन-पद्धति की नकल छोड़नी  होगी और अपने रोजमर्रा के जीवन को प्राचीन भारतीय शैली के आधार पर आधुनिक बनाना होगा।
 दुबई में प्रदूषण अंक सिर्फ ४८ है जबकि दिल्ली में वह ५०० को छू रहा है। दिल्ली के कुछ इलाकों में रात के वक्त वह १००० तक चला जाता था। कहा जा रहा है कि दुनिया के ३० सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में २० तो अकेले भारत में ही है और दिल्ली उनमें सबसे ज्यादा प्रदूषित है। दिवाली और प्रदूषण के इस दौर में लंदन,लाॅस एंजलिस,फ्लोरिडा, बर्लिन और ज्यूरिख में प्रदूषण-अंक ५० के आस-पास है। चीन जैसे देश के शहरों में १०० से कम है,लेकिन हमारे दक्षिण एशिया के बड़े देशों की हालत खस्ता है। दिल्ली भारत की राजधानी है और इस शहर में एक मुख्यमंत्री और एक प्रधानमंत्री भी रहता है। जिस शहर में दो-दो सरकारें चल रही हों,उसकी इतनी दुर्दशा क्यों है ? यह सवाल सर्वोच्च न्यायालय ने काफी कड़वी जुबान में उठाया है। उम्मीद है कि दोनों सरकारें कुछ कड़े कदम उठाएंगी। २०१९ में भारत के लगभग १७ लाख लोगों की मौत का कारण यह जहरीली हवा है।  सरकारें तो कुछ न कदम उठा रही हैं,लेकिन असली काम आम जनता को करना है। जो लोग अपने घर के आस-पास पेड़ लगा सकते हैं,वे लगाएं,वरना हर घर के सामने पौधों के दर्जनों गमले सजे होने चाहिए। हफ्ते में कुछ दिन कार और स्कूटर चलाने की बजाय पैदल,मेट्रो और बस का इस्तेमाल करें। किसान भाई पराली न जलाएं,इसका इंतजाम सरकार करे। कुछ दिन दिल्ली के लोग घरों से ही काम करने की आदत डालें। अभी कुछ दिनों तक सभा,सम्मेलन और जूलूस वगैरह स्थगित रखे जाएं। 

परिचय– डाॅ.वेदप्रताप वैदिक की गणना उन राष्ट्रीय अग्रदूतों में होती है,जिन्होंने हिंदी को मौलिक चिंतन की भाषा बनाया और भारतीय भाषाओं को उनका उचित स्थान दिलवाने के लिए सतत संघर्ष और त्याग किया। पत्रकारिता सहित राजनीतिक चिंतन, अंतरराष्ट्रीय राजनीति और हिंदी के लिए अपूर्व संघर्ष आदि अनेक क्षेत्रों में एकसाथ मूर्धन्यता प्रदर्शित करने वाले डाॅ.वैदिक का जन्म ३० दिसम्बर १९४४ को इंदौर में हुआ। आप रुसी, फारसी, जर्मन और संस्कृत भाषा के जानकार हैं। अपनी पीएच.डी. के शोध कार्य के दौरान कई विदेशी विश्वविद्यालयों में अध्ययन और शोध किया। अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त करके आप भारत के ऐसे पहले विद्वान हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय राजनीति का शोध-ग्रंथ हिन्दी में लिखा है। इस पर उनका निष्कासन हुआ तो डाॅ. राममनोहर लोहिया,मधु लिमये,आचार्य कृपालानी,इंदिरा गांधी,गुरू गोलवलकर,दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी सहित डाॅ. हरिवंशराय बच्चन जैसे कई नामी लोगों ने आपका डटकर समर्थन किया। सभी दलों के समर्थन से तब पहली बार उच्च शोध के लिए भारतीय भाषाओं के द्वार खुले। श्री वैदिक ने अपनी पहली जेल-यात्रा सिर्फ १३ वर्ष की आयु में हिंदी सत्याग्रही के तौर पर १९५७ में पटियाला जेल में की। कई भारतीय और विदेशी प्रधानमंत्रियों के व्यक्तिगत मित्र और अनौपचारिक सलाहकार डॉ.वैदिक लगभग ८० देशों की कूटनीतिक और अकादमिक यात्राएं कर चुके हैं। बड़ी उपलब्धि यह भी है कि १९९९ में संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। आप पिछले ६० वर्ष में हजारों लेख लिख और भाषण दे चुके हैं। लगभग १० वर्ष तक समाचार समिति के संस्थापक-संपादक और उसके पहले अखबार के संपादक भी रहे हैं। फिलहाल दिल्ली तथा प्रदेशों और विदेशों के लगभग २०० समाचार पत्रों में भारतीय राजनीति और अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर आपके लेख निरन्तर प्रकाशित होते हैं। आपको छात्र-काल में वक्तृत्व के अनेक अखिल भारतीय पुरस्कार मिले हैं तो भारतीय और विदेशी विश्वविद्यालयों में विशेष व्याख्यान दिए एवं अनेक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। आपकी प्रमुख पुस्तकें- ‘अफगानिस्तान में सोवियत-अमेरिकी प्रतिस्पर्धा’, ‘अंग्रेजी हटाओ:क्यों और कैसे ?’, ‘हिन्दी पत्रकारिता-विविध आयाम’,‘भारतीय विदेश नीतिः नए दिशा संकेत’,‘एथनिक क्राइसिस इन श्रीलंका:इंडियाज आॅप्शन्स’,‘हिन्दी का संपूर्ण समाचार-पत्र कैसा हो ?’ और ‘वर्तमान भारत’ आदि हैं। आप अनेक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों और सम्मानों से विभूषित हैं,जिसमें विश्व हिन्दी सम्मान (२००३),महात्मा गांधी सम्मान (२००८),दिनकर शिखर सम्मान,पुरुषोत्तम टंडन स्वर्ण पदक, गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार,हिन्दी अकादमी सम्मान सहित लोहिया सम्मान आदि हैं। गतिविधि के तहत डॉ.वैदिक अनेक न्यास, संस्थाओं और संगठनों में सक्रिय हैं तो भारतीय भाषा सम्मेलन एवं भारतीय विदेश नीति परिषद से भी जुड़े हुए हैं। पेशे से आपकी वृत्ति-सम्पादकीय निदेशक (भारतीय भाषाओं का महापोर्टल) तथा लगभग दर्जनभर प्रमुख अखबारों के लिए नियमित स्तंभ-लेखन की है। आपकी शिक्षा बी.ए.,एम.ए. (राजनीति शास्त्र),संस्कृत (सातवलेकर परीक्षा), रूसी और फारसी भाषा है। पिछले ३० वर्षों में अनेक भारतीय एवं विदेशी विश्वविद्यालयों में अन्तरराष्ट्रीय राजनीति एवं पत्रकारिता पर अध्यापन कार्यक्रम चलाते रहे हैं। भारत सरकार की अनेक सलाहकार समितियों के सदस्य,अंतरराष्ट्रीय राजनीति के विशेषज्ञ और हिंदी को विश्व भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए कृतसंकल्पित डॉ.वैदिक का निवास दिल्ली स्थित गुड़गांव में है।

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