श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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रक्षाबंधन विशेष….
चिट्ठी आई, चिट्ठी आई है, चिट्ठी आई है,
चन्दा जैसे प्यारे भाई की चिट्ठी आई है।
भाई तांगा गाड़ी में बैठकर आने वाले हैं,
मेरी प्यारी भाभी को, संग लाने वाले हैं।
मैं तो बावरी हो गई हूँ, चिट्ठी पढ़ कर,
आशीष दूँगी और लूँगी, राखी बांध कर।
चिट्ठी पढ़ कर, बहन ‘देवन्ती’ मुस्काई है,
रेशम की डोर से सुन्दर, राखी बनाई है।
अक्षत, चन्दन, रोली, थाली में सजाई है,
लड्डू, पेड़ा और मिठाई घर में बनाई है।
सखी देखो, मेरे भैया की चिट्ठी आई है,
बावरी हुई है बहन, फूली नहीं समाई है।
आज तो आने वाले हैं, हमारे प्यारे भैया,
झोला भर संदेश भी, लेके आएंगे भैया।
जग में सबसे सुन्दर है, जो हमारा भाई है,
पढ़ो सखी, हमारे भैया की चिट्ठी आई है॥
परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |