बबीता प्रजापति ‘वाणी’
झाँसी (उत्तरप्रदेश)
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सबके प्रिय भोले (शिवरात्रि विशेष)…
न रहें वो महल अटारी
न ही कोई लोक,
कैलाश के जो हैं वासी
भोला हर लें शोक।
औघड़दानी उदार अपार
लंका कर दी दान,
दुखियों की पीड़ा हरने
जा पहुंचे श्मशान।
अमृत की चाह नहीं
हलाहल किए विषपान,
मृत्युंजय महादेव शिव
देते जीवनदान।
प्रेम से इनको जो भज ले,
सदा करें कल्याण।
विश्वास करोगे जो भोले पर,
मृत को भी दे दें प्राण॥