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मित्रता

माया मालवेंद्र बदेका
उज्जैन (मध्यप्रदेश)
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मित्रता और जीवन….

‘मित्रता’ दिवस है, जरा दिल खोल बोलिए,
सर्प संग नाता जोड़, विष मत घोलिए
सर्प विष, विष नहीं शिव का प्याला है,
मित्रता भी उसी तरह, अमृत का प्याला है
अच्छा मित्र-बुरा मित्र, मित्रता न तौलिए,
‘मित्रता’ दिवस है, जरा दिल खोल बोलिए।

जरा भी समझ न आया कोई भी राग यह,
एक तरफ मित्र बोले, मीठी मिश्री घोले
दूजी और सर्प कहे, मित्र को ही विष कहे,
चंदन भी सोहे शिव, सर्प भी सोहे
मित्र है सर्प शिव का, ध्यान तो जरा धरिए,
‘मित्रता’ दिवस जरा दिल खोल बोलिए।

कहना नहीं आता, बस इतना ही आता,
भाता हमें केवल, प्रेम का नाता है
कहने से मित्र सुदामा, नहीं होगा कोई,
कृष्ण भी लिखने से, मित्र नहीं होगा कोई।
रहना है तो सचमुच ऐसे बन रहिए,
‘मित्रता’ दिवस है, जरा दिल खोल बोलिए॥

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