ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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माँ अनमोल रिश्ता (मातृ दिवस विशेष) …
ओ मेरी प्यारी माँ,
तू कितनी दयालु थी
घर आए भिखारी को भी,
प्रेम से खाना खिलाती थी।
मेरी खातिर तू कितना,
तड़पा करती थी
मेरे सोने के बाद ही,
तू सोया करती थी।
तू क्यों मेरे गुनाहों को,
धो देती थी
मुझ पर गुस्सा भी करती,
और खुद ही रो देती थी।
तेरे होंठों पर कभी,
बद्दुआ नहीं होती थी
मेरी गलती पर भी तू,
मुझे दुआ देती थी।
हर रिश्ते में मिलावट थी,
कच्चे रंगों की सजावट थी
लेकिन तेरी ममता की छाँव में,
कोई शिकायत नहीं थी।
तू सच्चाई की खातिर,
दुनिया से लड़ जाती थी।
कोई आँच न आए मुझ पर,
तू मन्नत मांगा करती थी॥
परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।