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‘माँ’ माँ होती है

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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माँ अनमोल रिश्ता (मातृ दिवस विशेष) …

नि:स्वार्थ प्रेम से भरी होती है, हर माँ की ममता,
माँ जैसा प्यार करे, यह नहीं है किसी में क्षमता।

तभी प्रभु श्री राम कहते हैं ‘माँ’ तो माँ होती है,
जन्मदाता माताएं, ओ बच्चों की जान होती है।

बच्चे को धरा पे लाने के लिए, माँ प्रसव सहती है,
कैसे बड़ा किया है, माँ मुँह से कभी नहीं कहती है।

बालक को आँचल में छुपाकर स्तनपान कराती है,
किसी की नजर नहीं लगे, काला टीका लगाती है।

माँ के प्रेम के लिए मैं रोया तो, माँ भी रो जाती है,
मैं मुस्कुराया तो, माँ खिलखिला कर हँस जाती है।

साधु-सन्त हों या वीर पुरुष, सबको जन्म देती है माँ,
बालक चाहे जैसा बन जाए, शुभ संस्कार देती है माँ।

माँ अनपढ़ है तो क्या हुआ, गुरु से बढ़ के ज्ञान देती है,
चलना, बोलना, सिखाया, तभी तो महान कहाती है।

बचपन से पचपन हुई ‘देवन्ती’, माँ की याद जब आती है,
आँसू की धारा बहती है, पर माँ को देख नहीं पाती है।

कितनी अभागी मैं, दूध का कर्ज चुका भी नहीं पाई।
माँ ने ही तो सजा-संवार के बड़ा किया, वही तो लाई।

हे ईश्वर प्रार्थना करती हूँ, एक बार माँ के दर्शन करा दो,
दिखा दो मेरी जन्मदाता माता को, आत्मा तृप्त करा दो॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |

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