डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’
जोधपुर (राजस्थान)
**************************************
कृष्ण कान्हा आए द्वार,
धरती का करने श्रृंगार
कृष्ण, कर्मवीर श्याम मुरलीधर,
घुन्घराले बाल मुरली मनोहर।
मेरे घनश्याम जगधारी गोपाल,
बंसी बजैय्या कान्हा जी
गोपियों संग नृत्य पालनहारी,
उद्धारक किसना जी राधा प्रेम।
दिवानी मीरा दरस दिवानी,
प्रेम के सागर वाले बंसीधारी
हँसमुख चेहरा पैरों में पैंजनिया,
रास सुरों का रचने वाले बंसी की।
धुन में है गजधारी पहाड़,
अंगुली पर टिकाने वाले चमत्कारी
करतब दिखाते और गायब हो जाते,
दुखों को मिटाते, गरीबों की सहायता।
करते दुष्टों का नाश और सर्वनाश,
करने वाले राधा के प्रेम में दीवाने
सावन माह में झूले झूलना नटखट,
अदा दिखाए माँ यशोदा को सताने।
अल्हड़ अठखेलियाँ करने वाले,
बाल रूप माखन चुराने वाले
अठखेलियाँ करते सखियों संग,
होली के रंग में रंगने वाले।
बंसीधारी मुरली मनोहर पनघट,
रास रचात, खूब रिझाते, चिढ़ाते
पालनहार मुरलीधर है ताल,
भैरवा पापी को सबक सिखाते।
मन ही मन हैं मुस्काते,
नाव सवैया पार लगाते
जमुना के तट पर जाते,
गोकुल में गाय चराते।
सर्प के मुख पर नृत्य मुद्राएं,
अपनी कलाएं दिखाते, बुराई से बचाते।
धरती पर ईश्वर का अवतार बताते,
तभी तो घनश्याम कहलाते॥