कुल पृष्ठ दर्शन : 242

You are currently viewing मैं विपक्ष हूँ

मैं विपक्ष हूँ

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
***********************************

मैं विपक्ष हूँ,
प्रतिकार मेरा अधिकार है
यह विरोध का प्रकार है,
कुछ भी श्रेष्ठ कार्य हो
विपक्ष अपनी उपस्थिति,
दर्ज कराता रहता है।

प्रजातंत्र का रक्षक बनकर,
उन्नत भाव रखने का दर्शन व प्रदर्शन
खूब जोर से दर्शाता है,
मजबूती से सदन में
उपस्थिति दर्ज कराता है।

विरोध का स्वर सदैव,
विरोध बतलाता है
यहां विपक्ष यहां बस,
अपनी ताक़त आजमाता है
अपनी उपस्थिति दर्ज कराने,
खूब मर्दानगी दिखलाता है।

गणतंत्र में अपनी पहचान,
मजबूत बनाने
सदैव आक्रमण और विरोध,
प्रबल तरीके से दिखलाता है
खूब खौफ भी विपक्ष का रहता है,
सतारूढ़ दल पर यहां
साथ पाने का प्रपंच भी यहां खूब,
रचा जाता है।

रणनीति भी बनती है,
राजनीतिक गतिविधियों पर
खूब मंथन भी करता है,
समाधान के प्रयास में
बस उपस्थिति शून्य रखता है।

बात-बात पर पर अवरोध,
विपक्ष की शान है
इनसे मिलती है उन्हें,
नवीनतम पहचान है।

यहां संस्कृति है बस विरोध की,
राजनीतिक कुचक्र रचने की
सरकार को सदैव कटघरे में,
क़ैद करने की
जनता की गाढ़ी कमाई के,
भरपूर अपव्यय करने की।

नहीं फिक्र रहती है,
कभी देश के सम्मान की
मान-अपमान की,
सदैव मदमस्त रहता है
गर्व है इसे,
अपने अभिमान का।

सदैव बस प्रपंच का खेल,
खेलने में ही विपक्ष व्यस्त रहता है यहां
आचरण उन्नत कभी उनका दिखता नहीं,
कभी भी यहां
यहां तो बस विरोध करने के लिए,
यहां विरोध किया जाता है।

अपनी पहचान के लिए,
उधम व शोर की पुरानी प्रथा
आज़ भी पुरजोर से अपनाई जाती है,
विपक्ष अपने तर्क में
यहां हम यह कहते हैं कि,
विरोध उनका धर्म है।

शास्त्रार्थ का परिचय है,
मजबूत विश्वास है
एक उन्नत प्रयास है,
जनप्रतिनिधि के रूप में
जनमानस को जागृत करने का,
एक सलीका है
जनमानस के हितों का,
एक स्वस्थ दुस्साहस है
उनके हितों की रक्षा का,
एक मजबूत प्रयास है
उपस्थिति का नवोन्मेष तरीका है।

यहां विपक्ष का यह उधम ठीक नहीं है,
बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है
उधम का यह रौद्र रूप उचित नहीं है,
अब नवीनता के दौर में
मजबूती से किया गया उधम व,
उत्तम उपचार की दरकार है
विपक्षी दलों में,
कभी भी नहीं दिखता यह
यहां यह उन्नत संस्कार है।

विपक्ष को विपक्ष का,
यह भाव त्यागना होगा
संस्कृति के उत्तम उपहार को,
अब जनमानस के प्रांगण में
मजबूती से विपक्ष को समझाना होगा।

गणतंत्र में यहा,
विपक्ष की उपस्थिति जरूरी है।
उत्तम भाव से उधम व,
जंग में बदलाव लाना
बन गई मजबूरी है॥

परिचय-पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

Leave a Reply