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कौन कहेगा श्रृंगार कर!

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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उजड़ गई बगिया टूट गया माली,
सेवा कर के थक गई विरहिणी
आई वापस ले के हाथ खाली,
मन मार बैठ गई यामिनी।

रूंधे गले से कह रही विरहिणी,
जब से छोड गए हो साजन
मैं बन गई अब विरहिणी,
सुना हुआ घर-आँगन।

हाय! पिया बिन कटती नहीं रातें,
किससे कहूँगी दिल की बातें
रोती रहती,है गमों में डूबी,
इस भरी दुनिया से उबी।

दु:खी जीवन हुआ है विरहिणी का,
कोई नहीं सहारा यामिनी का
जब से पिया छोड़ कर गए,
सुख-चैन संग लेकर गए।

आँसू से बहा है आँखों का कजरा,
बिखर गया है बालों का गजरा।
धुल गई है पैरों की महावर,
कौन कहेगा श्रृंगार कर!!

परिचय–श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।

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