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मोल कभी जान पाए नहीं

जसवीर सिंह ‘हलधर’
देहरादून( उत्तराखंड)
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मोल सैनिक कभी जान पाये नहीं,
फौज के नाम पर लग रहा है दड़ा।
जीतकर युद्ध भी हम झुके हैं सदा,
प्रश्न है ये बड़ा,प्रश्न है ये बड़ा ???

कारगिल युद्ध में जीत कैसी हुई,
कौन कहता है कि युद्ध जीते हैं हम।
पांच सौ से अधिक वीर खो के वहां,
जीत के नाम पर खून पीते हैं हम।
गृह खाली कराया था बस पाक से,
आज भी शत्रु बंदूक ताने खड़ा।
प्रश्न है ये बड़ा,प्रश्न है ये बड़ा…??

जीत हमको कभी रास आयी नहीं,
फौज आगे बढ़ी बीच से मोड़ दी।
लाख सैनिक बिना शर्त के छोड़ के,
आस कश्मीर की बीच में तोड़ दी।
संधि शिमला निर्रथक ही साबित हुई,
खर्च कर युद्ध में इक बड़ा रोकड़ा।
प्रश्न है ये बड़ा,प्रश्न है ये बड़ा…??

आग से आग सैनिक बुझा के गए,
चीन का खून पानी बना के गए।
भारती के लिए प्राण दे के गए,
शीश पर ताज माँ के सजा के गए।
छूट हथियार की पास होती अगर,
पास आता सही जीत का आँकड़ा।
प्रश्न है ये बड़ा,प्रश्न है ये बड़ा…??

क्या किसी राजनेता का बेटा कभी,
फौज भर्ती हुआ औ फना हो गया।
पूत ‘हलधर’ लड़ा देश के काम से,
लाम में खो गया लेह में सो गया।
फौज पेंशन हुई राजनीतिक विषय,
केंद्र सरकार ने भाग्य ताला जड़ा।
प्रश्न है ये बड़ा,प्रश्न है ये बड़ा…??

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