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यही हैं देवता

जसवीर सिंह ‘हलधर’
देहरादून( उत्तराखंड)
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धरा गंदी नहीं होती गगन गंदा नहीं होता।
शहीदों की चिताओं से वतन गंदा नहीं होता॥

नहीं हिन्दू नहीं मुस्लिम सिपाही तो सिपाही है,
मिटा जो कौम की खातिर बना दुश्मन तबाही है।
लगाओ हर दिवस मेले शहीदों की मजारों पर,
निशाने हिन्द पर गाया भजन गंदा नहीं होता॥
शहीदों की चिताओं से वतन गंदा नहीं होता…

नहीं सूरज मचलता है कभी वहशी हवाओं से,
डटे हैं वीर सरहद पर अड़े पत्थर शिलाओं से।
लगीं हो गोलियां कितनी भले हों घाव सीने पर,
लहू बहने से वीरों का बदन गंदा नहीं होता॥
शहीदों की चिताओं से वतन गंदा नहीं होता…

सपोले पाक के पाले बने आतंक के जाले,
पड़ौसी चीन ने भी मुल्क में कुछ नाग हैं पाले।
अभी हमने लगाया है ठिकाने कुछ दरिंदों को,
जमीं में इन दरिंदों का दफन गंदा नहीं होता॥
शहीदों की चिताओं से वतन गंदा नहीं होता…

न जीजा के न साले की रहा झूठी दिलासा में,
न हिंदी में न उर्दू में लिखा सब आम भाषा में।
नहीं श्रृंगार की बातें कहानी है शहादत की,
हमारी फौज का बोला वचन गंदा नहीं होता॥
शहीदों की चिताओं से वतन गंदा नहीं होता…

सभी का मान बढ़ता है सभी की शान बढ़ती है,
शहादत ही किसी भी देश की पहचान गढ़ती है।
करो मत कूटनीतिक टिप्पणी ‘हलधर’ शहीदों पर,
यही हैं देवता इनका नमन गंदा नहीं होता॥

शहीदों की चिताओं से वतन गंदा नहीं होता,
धरा गंदी नहीं होती गगन गंदा नहीं होता॥

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