प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (२१ जून) विशेष…
“जो अपनाता योग को, रहता सदा निरोग।
जीवन का आनंद ले, पाता जी-भर भोग॥”
योग का उद्देश्य हमारे जीवन का समग्र विकास करना है। या इसे ऐसे कह सकते हैं कि, जीवन का सर्वांगीण विकास करना। सर्वांगीण विकास से तात्पर्य यहाँ शारीरिक, मानसिक, नैतिक, आध्यात्मिक व सामाजिक विकास से है। योग जीवन जीने की कला है। पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस २१ जून २०१५ को मनाया गया था। योग दिवस का उद्देश्य योग के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। इसके अलावा दुनियाभर के लोगों को एक स्वस्थ जीवन-शैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है। शारीरिक और मानसिक कल्याण के महत्व के ‘योग’ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत धातु ‘युज’ से हुई है, जिसका अर्थ है ‘जोड़ना’ या ‘एकजुट होना’। यौगिक ग्रंथों के अनुसार योग के अभ्यास से व्यक्तिगत चेतना का सार्वभौमिक चेतना के साथ मिलन होता है, जो मन और शरीर, मनुष्य व प्रकृति के बीच पूर्ण सामंजस्य का संकेत देता है। योग आध्यात्मिक, शारीरिक और मानसिक प्रथाओं का एक समूह है, जिसकी उत्पत्ति प्राचीन भारत में हुई थी।
योग शारीरिक व्यायाम, शारीरिक मुद्रा (आसन), ध्यान, साँस लेने की तकनीकों और व्यायाम को जोड़ता है। इस शब्द का अर्थ ही ‘योग’ या भौतिक का स्वयं के भीतर आध्यात्मिक के साथ मिलन है।
योग से कई शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य लाभ होते हैं, जिनमें बेहतर मुद्रा, लचीलापन, शक्ति, संतुलन और शरीर की जागरूकता शामिल है। योग जीवन जीने की कला है।
परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।