संजय सिंह ‘चन्दन’
धनबाद (झारखंड )
********************************
शिला (ईंट) पूजा, घुमा श्रीराम रथ के संग,
बच्चा बच्चा राम का नारे की गूंज थी बहुरंग
हिंदुत्व जागरण में नशा चढ़ा था भगवा रंग,
चला अयोध्याधाम को, लेकर खूब उमंग।
रामभक्तों को पुलिस ने किया था तंग-तंग,
भेजा सबको जेल, मचा था अजब हुड़दंग
सोनभद्र गुर्मा जेल में दिखा केसरिया रंग,
जेलर को नत्मस्तक कराया, भोजन पर अंतर्द्वंद।
गुर्मा जेल में थे वीरेंद्र सिंह मस्त व दिलीप सिंह जूदेव बंद,
दर्जा मिला प्रथम श्रेणी, किया इंकार हुए रामभक्तों के संग
जेल में जयकारे ‘जय श्री राम’ श्री राम कृपा से अद्भुत जंग,
हिंदुत्व आंदोलन ऐतिहासिक बना, सक्रिय हुए बजरंग।
राम लला हम आ गए, मन्दिर वहीं बना गए,
जन्म-भूमि पर आपको पाकर खुशियाँ, हमें भा गए
जो सपने देखे थे सबने, सच साकार दिखा गए,
वर्षों से चिर-प्रतीक्षित पावन मुखड़ा मधुरमधुर मुस्का गए।
संघर्ष से हमें श्रद्धेय कल्याण सिंह व अशोक सिंघल तार गए,
शहीद कारसेवक, राम भक्तों के खून से पुण्य सरयू उबार गए
राम जन्मभूमि पर भव्य स्वरूप में श्री राम अवतार भए,
अयोध्या धाम महाराजा प्रभु श्रीराम कृपा से वैतरणी पार भए।
दर्शन पाया-प्रयाग, काशी, मथुरा, अयोध्या, हरिद्वार,
जीवन तरे, पुरखे तरे, होता सारे परिजन का उद्धार
यश, कीर्ति, मान-सम्मान, ज्ञान-विज्ञान के खुलते सारे द्वार,
दुख मिटाते, सुख हैं लाते, यही श्री राम का पुनरोद्धार।
त्याग, तपस्या, संघर्ष कर श्रीराम से मिलकर आ गए,
वर्षों के चिर-प्रतीक्षित स्वप्न को साकार होता पा गए।
हनुमान गढ़ी से राम जन्मभूमि तक कण-कण हमें भा गए,
बहुत खुशी हुई देख विराजित श्री राम लला को, पागल हो बौरा गए॥
परिचय-सिंदरी (धनबाद, झारखंड) में १४ दिसम्बर १९६४ को जन्मे संजय सिंह का वर्तमान बसेरा सबलपुर (धनबाद) और स्थाई बक्सर (बिहार) में है। लेखन में ‘चन्दन’ नाम से पहचान रखने वाले संजय सिंह को भोजपुरी, संस्कृत, हिन्दी, खोरठा, बांग्ला, बनारसी सहित अंग्रेजी भाषा का भी ज्ञान है। इनकी शिक्षा-बीएससी, एमबीए (पावर प्रबंधन), डिप्लोमा (इलेक्ट्रिकल) व नेशनल अप्रेंटिसशिप (इंस्ट्रूमेंटेशन डिसिप्लिन) है। अवकाश प्राप्त (महाप्रबंधक) होकर आप सामाजिक कार्यकर्ता, रक्तदाता हैं तो साहित्यिक गतिविधि में भी सक्रियता से राष्ट्रीय संस्थापक-सामाजिक साहित्यिक जागरुकता मंच मुंबई (पंजी.), संस्थापक-संरक्षक-तानराज संगीत विद्यापीठ (नोएडा) एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता के.सी.एन. क्लब (मुंबई) सहित अन्य संस्थाओं से बतौर पदाधिकारी जुड़ें हैं, साथ ही पत्रकारिता का वर्षों का अनुभव है। आपकी लेखन विधा-गीत, कविता, कहानी, लघु कथा व लेख है। बहुत-सी रचनाएँ पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हैं, साथ ही रचनाएँ ४ साझा संग्रह में हैं। ‘स्वर संग्राम’ (५१ कविताएँ) पुस्तक भी प्रकाशित है। सम्मान-पुरस्कार में आपको महात्मा बुद्ध सम्मान-२०२३, शब्द श्री सम्मान-२०२३, पर्यावरण रक्षक सम्मान-२०२३, श्रेष्ठ कवि सम्मान-२० २३ सहित अन्य सम्मान मिले हैं तो विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में कई बार उपस्थिति, देश के नामचीन स्मृति शेष कवियों (मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र आदि) के जन्म स्थान जाकर उनकी पांडुलिपि अंश प्राप्त करना है। श्री सिंह की लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी भाषा का उत्थान, राष्ट्रीय विचारों को जगाना, हिन्दी भाषा, राष्ट्र भाषा के साथ वास्तविक राजभाषा का दर्जा पाए, गरीबों की वेदना, संवेदना और अन्याय व भ्रष्टाचार पर प्रहार है। मुंशी प्रेमचंद, अटल बिहारी वाजपेयी, जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह दिनकर, किशन चंदर और पं. दीनदयाल उपाध्याय को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाले संजय सिंह ‘चंदन’ के लिए प्रेरणापुंज- पूज्य पिता जी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, महात्मा गॉंधी, भगत सिंह, लोकनायक जय प्रकाश, बाला साहेब ठाकरे और डॉ. हेडगेवार हैं। आपकी विशेषज्ञता-साहित्य (काव्य), मंच संचालन और वक्ता की है। जीवन लक्ष्य-ईमानदारी, राष्ट्र भक्ति, अन्याय पर हर स्तर से प्रहार है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“अपने ही देश में पराई है हिन्दी, अंग्रेजी से अंतिम लड़ाई है हिन्दी, अंग्रेजी ने तलवे दबाई है हिन्दी, मेरे ही दिल की अंगड़ाई है हिन्दी।”