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रिश्ते हैं इसलिए रिसते हैं,और इसीलिए बनते-बिगड़ते

पुस्तक विमोचन….

इंदौर(मप्र)।

रिश्ते हैं इसलिए रिसते हैं और इसीलिए बनते-बिगड़ते हैं। स्व. जलधारी का यह काव्य संग्रह एक कवि की दूरदृष्टि बताती है। जलधारी जी एक कुशल पत्रकार ही नहीं,साहित्यकार भी थे। वे अपनी लेखनी से सरस्वती की आराधना करते थे।
राष्ट्रकवि सत्यनारायण सत्तन ने यह बात इंदौर प्रेस क्लब में वरिष्ठ पत्रकार स्व. शशीन्द्र जलधारी के १०वें काव्य संग्रह ‘बनते-बिगड़ते रिश्ते’ पुस्तक का विमोचन करते हुए अतिथि रुप में कही। क्लब के राजेंद्र माथुर सभागार में आयोजित इस समारोह में ५ वरिष्ठ साहित्य मनीषियों को प्रतिष्ठित के.के. बिड़ला व्यास सम्मान से अलंकृत किया गया। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शरद पगारे,वरिष्ठ निबंधकार नर्मदा प्रसाद उपाध्याय,वरिष्ठ कथाकार सूर्यकांत नागर, वरिष्ठ लघु कथाकार सतीश राठी और वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक मुकेश तिवारी को शाल-श्रीफल और प्रशस्ति-पत्र से यहाँ सम्मानित किया गया। अतिथि रूप में राष्ट्रकवि श्री सत्तन,ख्यात साहित्यकार प्रो. सरोज कुमार और अतिरिक्त उप पुलिस आयुक्त श्रीमती मनीषा सोनी पाठक उपस्थित रहे।
प्रो. कुमार ने कहा कि आज शशीन्द्र दा को याद करने का मतलब स्वयं के एक हिस्से को याद करने के समान है। श्रीमती सोनी ने कहा कि हर पत्रकार साहित्यकार होता है। जलधारी जी के परिवार ने एक पुस्तक का प्रकाशन करवाकर उनके सपनों को साकार किया है।
क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने स्वागत उद्बोधन दिया। उपाध्यक्ष प्रदीप जोशी ने संग्रह का परिचय दिया। अतिथि स्वागत उपाध्यक्ष दीपक कर्दम व श्रीमती करुणा जलधारी आदि ने किया। अतिथियों को प्रतीक चिह्न अमित जलधारी ने दिए। संचालन अक्षत व्यास ने किया।

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