सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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धन्यवाद कहते रहो धरो सदा मन धीर,
मालिक ऊपर बैठ कर लिखता है तक़दीर।
खोये-खोये से सदा क्यों इतने गंभीर,
बेचैनी छिपती नहीं तुम हो बहुत अधीर।
स्वप्न सुनहरे देखिए नहीं बुराई कोय,
बने बावले घूमते नहीं उचित यह पीर।
आशा सब पूरी करें, करें सदा उपकार
ऐसा तो होता नहीं देख सकल संसार।
अहित कभी मत सोचिए, रखिए नेक विचार
अपने प्रभु से देखिए जुड़ा हुआ है तार।
लिखना मेरा शौक़ है मेरे मन के भाव,
लिख कर दिया रूप एक, रचना हो साकार॥