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लोकतंत्र के प्रहरी बनें

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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लोकतंत्र के मंदिर में,
हृदय से अरदास हो
सांस्कृतिक समर्पण का,
उन्नत अहसास हो।

लोकतंत्र के लिए,
यह बहुत जरूरी है
प्रजातंत्र के लिए है,
अपूर्व मंजूरी है।

सुन्दर और स्नेहिल,
और सद्भाव रहे
जनमानस की सेवा का,
सदैव सद्भाव रहे।

संसद सत्र में उपस्थिति,
बहुत जरूरी है
लोकतंत्र की रक्षा के लिए,
एक अत्यंत मजबूरी है।

सांसदों की उपस्थिति,
उदयभान प्रकाश है
सुखद लोकतंत्र की,
स्वच्छ निर्मल साँस है।

लोकतंत्र का सुरक्षित रहना,
उन्नत-सी आस है
जनमानस का सुन्दर,
अपूर्व विन्यास है।

प्रगति का मार्ग है,
उल्लासित अहसास है
सुन्दर प्रस्तुति का,
कठोर प्रयास है।

सुन्दर भविष्य का,
काल बनें
उन्नति का विकसित एवं,
मजबूत कपाल बनें।

उन्नत विकसित राष्ट्र में,
उल्लासित भाव लगे
लोकतांत्रिक मर्यादाओं के,
रक्षक और सुरक्षित साथ लगें।

देश के पर्यवेक्षक हैं,
संस्कृति की शान है
विधानों के निर्माता हैं,
देश के अभिमान हैं।

चुने हुए प्रतिनिधियों में,
जवाबदेही का सम्मान है
संसद सत्र में गरिमामय,
उपस्थिति पर अभिमान है।

अनुशासन का गागर है,
सम्मान का हृदय द्वार है
सदनों की मर्यादा हैं,
अपूर्व सुन्दर संस्कार है।

दोनों सदनों में दिखते,
लगते सतर्क प्यादे हैं
वार्ता की रखते साख हैं,
जनमानस के सत्र के अभिमान हैं।

वेबजह अनुपस्थिति,
इसकेे शान के खिलाफ है,
यह प्रयास बन्द हो,
सफलता का रंग हो।

मनमर्जी का नहीं भाव हो,
सदस्यों के बीच सद्भाव हो।
उत्तम सहमति प्राण है,
देश का अभिमान है।

जिम्मेदारी पूर्ण व्यवहार हो,
वचन का सम्मान हो
अनुपस्थिति पर संग्राम हो,
संसद पटल पर संवाद हो।

सशक्त संवाद यहां खूब चले,
चिंतन पर बात बने
प्रगति विस्तार की बात हो,
समृद्धि-तरक्की साथ हो।

हर क्षण हो रही संसद में,
उच्छ्रंखलता समाप्त हो
करोड़ों रुपए न बर्बाद हो,
उत्तम उपचार की बात हो।

स्नेहिल भाव की राह बने,
उत्तम भारत महान बने
प्रगति के पथ पर सदैव रहने का,
साथ-साथ प्यारा-सा साथ रहे।

संसद सर्वोत्तम स्थल है,
जनता का हृदय द्वार है
जनता की आवाज पहुंचाने का,
श्रेष्ठतम प्रवेश द्वार है।

जनमानस को समझाने का,
स्व इच्छा के अंत का
यह एक उत्तम धाम है,
बढ़ाते संसद का सम्मान हैं।

स्वार्थ का प्राणवंत हों,
यहां इसका उन्नत नाम है
सर्वोच्च संस्था का भाव रखें,
गहराई से विश्लेषण,बात करें।

लोकतंत्र की मजबूत रीढ़ है,
सुदृढ़ समाज का साथ रखें।
भविष्य की तस्वीर है,
सक्रिय साझेदारी है।

मनोनीत भी रहते यहां,
विचारवान व धीर हैं
संसद की मर्यादा रखकर,
बन जाते युद्ध वीर हैं।

आओ हम-सब मिलकर,
अब साथ-साथ चलें
सुन्दर सन्देश के उपवन में,
मजबूत संग एक नाथ बनें।

संसद के निर्धारित सत्र में,
उपस्थिति का,अनुसरण करें।
राजनीतिक कुचक्र बंद करने का,
हर सम्भव हम प्रयास करें॥

परिचय-पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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