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`लौह पुरूष` सरदार वल्लभभाई पटेल

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’ 
गोरखपुर(उत्तर प्रदेश)

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फौजी का घर संस्कृति संस्कार का कुनबा परिवारl

झावेर भाई-माँ लाड़ बाई ने जांबाज जज्बे जज्बात की औलाद को वल्लभ दिया नाम,
वल्लभ झावेर भाई पटेल के बचपन के किलकारी की माँ भारती ने पहचानी अपने आन-स्वाभिमान की संतानl

शिक्षा के प्रथम दिवस से गुरूओं के मर्म गर्व का शिष्य वल्लभ बालक गुरूओं की महिमा मान,
स्वाभिमान का स्वर्णिम भविष्य को रचनेवाला वर्तमानl

प्राथमिक,माध्यमिक शिक्षा पूर्ण कर की वकालत पास,
हर वक्त-हर परिस्थिति कठिनाई में धैर्य-धीर-निडर निर्भीक जवां वल्लभ नौजवानl

वात्सल्य भी विशेष,आश्चर्यचकित का सभ्य शरारत घर-आँगन,
नगर-गांव-शहर की खुशियों-आशाओं का नन्हा वल्लभ प्राणl

जिसने भी पाया नन्हें वल्लभ का सानिध्य साथ,
अपने सद्कर्मों की दी दुहाई,ईश्वर को देता धन्यवादl

बचपन से युवा तक वल्लभ ने देखा भारत में भारतवासी को आपस में लड़ते,
कभी जाति,कभी धर्म,कभी ऊंच-नीच के भेदभाव में घनघोर अशिक्षा के अंधकार-नफरत की धार मेंl

वल्लभ का मन विह्ल हो जाता देख माँ भारती की संतानों की खुद के कारण दुर्दशा,
मन में ठान लिया माँ भारती की सेवा का व्रत मन ही मन संकल्प कियाl

नित-नई पैंतरेबाजी से भारत की समृद्धि विरासत परम्परा समाज पर करता अन्याय,
अत्याचार की हद तक का वार-ग़ुलामी के एहसासों से हर भारतवासी था टूटा-टूटा बेज़ारl

धधकती सीने में ज्वाला तूफान,
क्रान्ति नेता नेतृत्व की प्रतीक्षा का अंदाजl

वर्ष सन उन्नीस सौ दस से उन्नीस सौ तेरह तक वकालत की शिक्षा ले की वकालत पास,
वल्लभ बना युवा वकील गोधरा से की वकालत की शुरुआतl

गोधरा में मन न लगा,वल्ल्भ पहुंचे अहमदाबाद,
सन उन्नीस सौ सत्रह गुजरात सभा का बना महासचिवl

युवा ओज वल्लभ की प्रथम राष्ट्र से पहचान,
उन्नीस सौ अठ्ठारह कर विरोध से वल्ल्भ के युवा जोश का शंखनादl

वल्ल्भ ने जाना महात्मा के भारत में महत्व को,किया आत्मसात,
बारदोली के गूँज अनुगूँज स्वतंत्रता की क्रांति में वल्लभ का आगाज़ अन्दाज़l

सन उन्नीस सौ तीस में नमक आंदोलन स्वतंत्रता की चिंगारी की प्रज्वलित मशाल अंगार,
भारत की माटी के कण-कण की थी यही पुकार,सत्य सनातन की जागृति हुंकारl

भारत की माटी के कण-कण की अभिलाषा,
माँ भारती की कोख से जन्मे हर बच्चा बोले-भारत की मर्यादा पराक्रम पुरूषार्थ की भाषाl

युवा योद्धा हो कर्मवीर-धर्मवीर,
भारत के महत्व की महत्वपूर्ण लिखे गौरव गाथाl

गुलामी की वेदना की ज्वाला से भारत का कण-कण धधकता अंगार,
अंगारे की चाहत हर भारतवासी हो सत्य सनातन का प्रहरी सिंह बाजl

सिसकती माँ भारती की आज़ादी का हो शंखनाद,
माँ भारती की वेदना के हर घाव-आँसू का करे हिसाबl

माँ भारती की सूखी आँखों में सत्य सनातन का विश्वास,
भारत की युग चेतना जागृति चेतना के नव शौर्य की आसl

सूर्योदय की अवधारणा के अवतार भारत का इतिहास,
नायक-महानायक के वक्त-आगमन का इंतजार,विश्वासl

माँ भारती नित देख रही थी अपनी ही संतानों के मध्य जाति-धर्म का विद्वेष,भाव के नित-नया स्वरूप,
संग्राम गुलामी के जंगों-दंशों अपनी छाती पे घाव सीने में चिंगारी की दबी हुई हुंकारl

भारत के जन-जन में निरीहता की छटपटाहट,
अन्तर्मन मन से सुलग ही थी निरंकुशता की दासताl

दासता से मुक्ति का नीति नियंता नेतृत्व की नियति,
एक सूर्योदय संध्या कर रहा था पुकारl

नित्य निरन्तर सत्य सनातन की धारा समय,
प्रभा प्रवाह से उदय उदित गुजरात नाडियाड मेंl

झावेर भाई के घर-आँगन अम्बर में अट्ठारह सौ सन पचहत्तर को माँ भारती की आशा,
विश्वासों का सूरज-चाँद,
माँ लाड़ बाई की कोख का भविष्य,भारत माँ की आँखों का तारा अभिमानl

झावेर भाई झांसी की फौज के जवां जज्बा जाबांज,
तेजस्वी ओजस्वी पुत्र भारत के गर्व अभियान की शान स्वाभिमानl

दाण्डी यात्रा से वल्लभ की स्वतंत्रता का महासमर,
इस संग्राम का प्रथम पग,आज़ाद भारत के सपनेl

सन उन्नीस सौ इकतीस में गांधी इर्विन समझौता का साक्षी गवाह,
वल्लभ के बचपन से छटपटाती माँ भारती की वेदना के अँगारl

सन उन्नीस सौ चौतीस में काँग्रेस का वल्लभ शीर्ष शिखर,
नेता नेतृत्व की भारतवासी की आकांक्षाl

भारत छोड़ो आंदोलन का अगुआ नेता सरदार वल्लभ,
माँ भारती के आँचल-चरणों का व्यक्ति व्यक्तित्व भारत के जन-जन का अनुरागl

सन उन्नीस सौ बयालीस से सन पैंतालीस तक,
स्वतंत्रता के जज्बे जज्बात का सैलाब तूफानl

अत्याचारों-अन्याय के कारागार में लौह पुरूष,
सरदार वल्लभ की अवधारणा का अवतारl

जन्म वल्लभ झावेर भाई युवा ओज तेज का बना सरदार,
आज़ादी के संघर्षों में तपता निखरा, असरदारl

झावेर भाई-लाड़ बाई की फ़ौलाद-सी औलाद लौह पुरूष,
लौह की सार्थकता की वास्तविकता का सत्य सत्यार्थ प्रकाशl

महात्मा की आत्मा जवाहर के दिल का जज़्बा जज्बात,
आज़ादी की क्रांति की चिंगारी प्रज्वलित मशाल का सरदारl

सन सैतालीस में भागे अंग्रेज,देश हुआ आज़ाद,
लाखों त्याग-बलिदानों का प्रकाश,सैकड़ों साल गुलामी के अंधेरे का प्रकाशl

नरमी की गाँधी की मर्यादा गौरव गरिमा गर्मी के सुभाष,
विश्वास युवा क्रान्ति के युवा ज़श्न का वल्लभ झावेर लौह पुरुष सरदारl

बंटवारे के नाम नोवाखाली में मानव मानवता को, हिन्दू को रौंद रहा था जिन्ना के जिन्न का इस्लामी राष्ट्र पाकिस्तानl

जाते-जाते अंग्रेजों ने नफरत की जमीं पर जिन्ना जिन्न का किया इज़ाद,
भारत बंट गया धर्म के नाम पर जिन्ना की जिद पर खंडित भारत बना पाकिस्तान इस्लामिक राष्ट्रl

वल्लभ भाई के कंधों पे आज़ाद मुल्क़,
उप-प्रधानमंत्री-गृहमंत्री का द्विपद गुरूतर भारl

भारत में खण्ड-खण्ड में बंटे राजा राज्य,आज़ादी के उपहार से अंजान,
कोई स्वागत का करता गान,तो कोई परिहास में जाना चाहता पाकिस्तान!

एकता ही श्रेष्ठता अनेकता में एकता की जागृति, जागरण का लौह पुरूष,
सरदार वल्लभ भाई भारत के वर्तमान की प्रमाणिकता का प्रमाणl

सूझ-बूझ ताकत का कमजोरी पर किया वार,
नेहरु की भाव-भावना पद-कद अनुभव को करते साथl

समय जरुरत को भाँप नीति-रीति धैर्य धीरता से,
माँ भारती को मान दिया सम्मान दियाl

आज़ाद मुल्क भारत के नक्शे में पाँच सौ पैंसठ खण्ड खण्ड में बाँटे,
आपस में लड़ते ग़ुलामी नक़्शे नशे में चूर राज्य राजाओं को किया एक राष्ट्रl

युग सृष्टि में कभी-कभार ही वल्लभ झावेर बच्चा,
युवा बमुश्किल के संघर्षों से तप निखर कर तूफानों से लड़ताl

दुनिया की आशा-विश्वास युग की प्रेरक प्रेरणा,
लौह पुरूष सरदार ने रचा स्वर्णिम इतिहासll

परिचय-एन.एल.एम. त्रिपाठी का पूरा नाम नंदलाल मणी त्रिपाठी एवं साहित्यिक उपनाम पीताम्बर है। इनकी जन्मतिथि १० जनवरी १९६२ एवं जन्म स्थान-गोरखपुर है। आपका वर्तमान और स्थाई निवास गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) में ही है। हिंदी,संस्कृत,अंग्रेजी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री त्रिपाठी की पूर्ण शिक्षा-परास्नातक हैl कार्यक्षेत्र-प्राचार्य(सरकारी बीमा प्रशिक्षण संस्थान) है। सामाजिक गतिविधि के निमित्त युवा संवर्धन,बेटी बचाओ आंदोलन,महिला सशक्तिकरण विकलांग और अक्षम लोगों के लिए प्रभावी परिणाम परक सहयोग करते हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,नाटक,उपन्यास और कहानी है। प्रकाशन में आपके खाते में-अधूरा इंसान (उपन्यास),उड़ान का पक्षी,रिश्ते जीवन के(काव्य संग्रह)है तो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-भारतीय धर्म दर्शन अध्ययन है। लेखनी का उद्देश्य-समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-पूज्य माता-पिता,दादा और पूज्य डॉ. हरिवंशराय बच्चन हैं। विशेषज्ञता-सभी विषयों में स्नातकोत्तर तक शिक्षा दे सकने की क्षमता है।

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