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वात्सल्य की ऊष्मा है शारदा मंडलोई की रचनाओं में-डॉ. दवे

लोकार्पण…

इंदौर (मप्र)।

शारदा मंडलोई की रचनाओं में जीवन के संघर्ष और अनुभव तो हैं ही, घट्टी है, चूल्हा है, मेढ़ है, खलिहान है। इन सबसे बढ़कर इन पृष्ठों में लुगड़े वाली माँ के वात्सल्य की ऊष्मा है। पाठक एक क्षण को अपनी बहती आँखें किताब के पन्नों से छुपा लेगा तो लगेगा पल्लू से आँखें पूछ रही हैं। रचना जब सामाजिक और राष्ट्रीय सरोकार के साथ अवतरित होती हैं तो पाठक भी उसका स्वस्ति वाचन करते हैं।
साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश (भोपाल) के निदेशक डॉ. विकास दवे ने यह बात अध्यक्षता करते हुए कही। अवसर बना श्री मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति में शारदा मंडलोई (लेखिका व वामा साहित्य मंच की मार्गदर्शक) की पुस्तक ‘शारदा मंडलोई का रचना संसार’ के विमोचन का। मुख्य अतिथि शिवना प्रकाशन के प्रमुख शहरयार खान ने भी शारदा जी को शुभकामनाएं दी।
चर्चाकार के रूप में साहित्यकार ज्योति जैन ने कहा कि यह उनकी बरसों बरस की मेहनत का नतीजा है। उनकी रचनाएं भाषा की सरलता और रोचकता का मिश्रण है। आरंभ में सरस्वती वंदना वीणा मेहता ने प्रस्तुत की। परिवार की तरफ से स्वागत अमिताभ मंडलोई और दिव्या मंडलोई ने एवं मंच की तरफ से प्रेमकुमारी नाहटा व पद्मा राजेन्द्र ने किया।
संचालन स्मृति आदित्य ने किया।दिव्या मंडलोई ने आभार माना।