कुल पृष्ठ दर्शन : 12

You are currently viewing विविधवर्णी हैं ओम जी की लघुकथाएँ-अनिता रश्मि

विविधवर्णी हैं ओम जी की लघुकथाएँ-अनिता रश्मि

सम्मेलन…

पटना (बिहार)।

क्षणाँश में गंभीर रूप से विचारणीय बात कहती है लघुकथा। लघुकथा विधा ने आज वैश्विक स्तर पर पहचान बना ली है। फिर भी सबसे अधिक प्रयोग, सीख, उपदेश और किन्तु-परन्तु इसी विधा के लिए है। ओम नीरव जी की लघुकथाएँ विविधवर्णी हैं। कम में नए ढंग से अपनी बात रखती हैं।
   भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वावधान में आभासी रूप से आयोजित  अवसर साहित्य पाठशाला कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए साहित्यकार अनिता रश्मि ने यह बात कही।
      मुख्य अतिथि विख्यात आलोचक, समीक्षक और साहित्यकार आचार्य ओम नीरव की लघुकथाओं पर संस्था के अध्यक्ष सिद्धेश्वर ने कहा कि, लघुकथा में उद्देश्य पर सीधा प्रहार होता है। यह अब किसी गहन तत्य को समझने, उपदेश देने, स्तब्ध करने, गुदगुदाने और चौंकाने का काम नहीं करती, बल्कि आज के यथार्थ से जुड़कर हमारे चिंतन को धार देती है। सच कहूं तो समकालीन लघुकथा का यही पैमाना भी है और इस पैमाने पर ओम नीरव की लघुकथाएं पूरी तरह खरी उतरती है। हम कह सकते हैं कि, समकालीन लघुकथा के प्रतीकात्मक लक्ष्य को एक सार्थक दिशा देती हैं ओम नीरव की लघुकथाएं।
सम्मेलन में श्री नीरव ने ४ प्रतिनिधि लघुकथा (अरहर की दाल, तो क्या, गरम हल्दी और हलचल) का पाठ करते हुए मंच को सुशोभित किया। उन्होंने कहा कि, यह आयोजन रोचक और रचनात्मक है।
  इस पाठशाला-सम्मेलन के दूसरे सत्र में नए-पुराने लघुकथाकारों ने अपनी लघुकथाओं को प्रस्तुत किया, जिनमें अनिता रश्मि ने ‘सेल्फी और आस्था’, गार्गी राय ने ‘आग’ और अनिल कुमार जैन ने ‘असम्भव’ आदि का पाठ किया। संचालन ऋचा वर्मा ने किया।