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शांति एवं मुस्कान का झरना ‘पर्यटन’

ललित गर्ग

दिल्ली
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अंतरराष्ट्रीय एकता, शांति, सौहार्द और आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देने सहित दुनिया में शांति एवं अयुद्ध को बढ़ावा देने में पर्यटन की भूमिका महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह अंतर-सांस्कृतिक बातचीत को प्रोत्साहित करता है। लोग जितना अधिक यात्रा करते हैं, उतना ही वे विविध संस्कृतियों का अनुभव करते हैं, जिससे अधिक सहिष्णुता और समझ विकसित होती है। एक-दूसरे के नजदीक आने का अवसर मिलता है। इससे शांति, अमन एवं सौहार्द का वातावरण निर्मित होता है। पर्यटन बाधाओं को तोड़ सकता है और राष्ट्रों के बीच स्थायी बंधन बना सकता है। यह रोजगार प्रदान करके और स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा देकर स्थानीय समुदायों को ऊपर उठाने में भी मदद करता है, इस प्रकार क्षेत्रों की दीर्घकालिक शांति और समृद्धि में योगदान देता है।
पर्यटन न केवल एक आर्थिक चालक है, बल्कि एक अधिक समावेशी और शांतिपूर्ण दुनिया बनाने का एक साधन भी है। पर्यटन क्षेत्र वैश्विक अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा देता है। पर्यटन लोगों को अपनी संस्कृतियों, परंपराओं और ज्ञान को साझा करने का अवसर देता है। यह विविध समुदायों के बीच सम्मान, सौहार्द, सद्भावना और समझ को बढ़ावा देने में मदद करता है। इससे पारिस्थितिकी मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद मिलती है और हमारे ग्रह की बेहतर देखभाल को बढ़ावा मिलता है।
भारत में पर्यटन उद्योग ने हाल के वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि दिखाई है। पर्यटन क्षेत्र द्वारा २०२४ में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग २१.१५ ट्रिलियन ₹ (लगभग २५३ बिलियन डॉलर) जोड़ने का अनुमान है, जो पिछले वर्षों की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि है। भारत विश्व स्तर पर पाँचवाँ सबसे बड़ा यात्रा और पर्यटन बाज़ार बनने के लिए तैयार है, जिसका अनुमान है कि २०२७ तक आउटबाउंड पर्यटन व्यय ८९ बिलियन डॉलर तक पहुँच जाएगा, जो २०१९ में ३८ बिलियन डॉलर था। भारत असंख्य पर्यटन अनुभवों और मोहक स्थलों का देश है। चाहे भव्य स्मारक हों, प्राचीन मंदिर या मकबरे हों, नदी-झरने, प्राकृतिक मनोरम स्थल हो, इसके चमकीले रंगों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रौद्योगिकी से चलने वाले इसके वर्तमान से अटूट संबंध है। केरल, शिमला, गोवा, आगरा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, मथुरा, काशी जैसी जगहें तो अपने विदेशी पर्यटकों के लिए हमेशा चर्चा में रहती हैं। भारत में अपने लोगों के साथ लाखों विदेशी लोग प्रतिवर्ष भारत घूमने आते हैं। भारत में पर्यटन की उपयुक्त क्षमता है। यहाँ सबके लिए खूबसूरत जगहें हैं। दिल्ली, मुंबई, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, दक्षिण भारत के अनेक राज्यों में तो लोगों को घूमते-घूमते महीने बीत जाते हैं।
हर व्यक्ति किसी-ना-किसी परेशानी से घिरा हुआ है। भय और संकट के इस दौर में ऐसा लगता है मानो खुशी एवं मुस्कान तो कहीं गुम हो गई है। बावजूद इन सबके हर व्यक्ति को अपने जीवन में कुछ समय ऐसा जरूर निकालना चाहिए, जिसमें खुशी, शांति एवं प्रसन्नता के पल जीवंत हो सके, इसका सशक्त माध्यम है पर्यटन। पर्यटन सिर्फ हमारे जीवन में खुशियों के पलों को वापस लाने में ही मदद नहीं करेगा, बल्कि यह किसी भी देश के सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का माध्यम भी बनेगा। कई देशों की अर्थव्यवस्था पर्यटन उद्योग के इर्द-गिर्द घूमती रही है। यूरोपीय देश, तटीय अफ्रीकी देश, पूर्वी एशियाई देश, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और भारत आदि ऐसे देश हैं जहां पर पर्यटन उद्योग से प्राप्त आय वहां की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करता है। भारत जैसे देशों के लिए पर्यटन का खास महत्व है। देश की पुरातात्विक विरासत या सांस्कृतिक धरोहर केवल दार्शनिक, धार्मिक, सांस्कृतिक स्थल के लिए नहीं है, बल्कि यह राजस्व प्राप्ति का भी स्रोत है। पर्यटन क्षेत्रों से कई लोगों की रोजी-रोटी भी जुड़ी है। आज भारत जैसे देशों को देखकर ही विश्व के लगभग सभी देशों में पुरानी और ऐतिहासिक इमारतों का संरक्षण-संवर्द्धन किया जाने लगा है।
एक समय दुनिया में आई आर्थिक मंदी और आतंकवाद के चलते ऐसा लगने लगा कि पर्यटक अब भारत का रुख करना पसंद नहीं करेंगे, पर ऐसा नहीं हुआ। भारत की सांस्कृतिक और प्राकृतिक सुन्दरता इतनी ज्यादा है कि पर्यटक ज्यादा समय तक यहाँ के सुन्दर नजारे देखने से दूर नहीं रह सके। यही वजह है कि भारत में विदेशी सैलानियों को आकर्षित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दूरगामी सोच से अनेक पर्यटन योजनाओं को लागू किया है। वे खुद भी पर्यटन को प्रोत्साहन देने को तत्पर रहते हैं। पिछले दिनों उनकी लक्षद्वीप की यात्रा एवं आम चुनाव के बाद कन्याकुमारी में विवेकानन्द आश्रम में एकान्त साधना से इन स्थलों के पर्यटन को अनायास ही प्रोत्साहन मिला। भारतीय पर्यटन विभाग ने ‘अतुल्य भारत’ नाम से अभियान चलाया था, जो काफी हद तक सफल हुआ।
आज सैलानी पर्यटन के लिहाज से सुदूर स्थलों की सैर भी आसानी से कर सकते हैं। सिमटती दूरियों के बीच लोग बाहरी दुनिया के बारे में भी जानने के उत्सुक रहते हैं। यही कारण है कि आज दुनिया में पर्यटन एक फलता-फूलता उद्योग बन चुका है।