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शिक्षक देखता भविष्य अंधकार

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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मैं हूँ एक शिक्षक
मुझे है शिक्षा से प्यार,
झारखंड हो या बंगाल
यूपी या फिर हो बिहार।

पर्वत पठार या फिर जंगल
शांत-अशांत या हो दंगल,
हर जगह हर स्थिति में
करता मैं शिक्षा का दान।

कहा सभी ईश्वर से महान
महानता में लगा है ग्रहण,
बहुत कर लिया अब सहन
बंद पड़ी है शिक्षा की व्यवस्था।

कोरोना की ऐसी पड़ी है मार
शिक्षा व्यवस्था हुई है बेकार,
ऑनलाइन शिक्षा चला है जोर
पर शिक्षा मांगें कक्षा की ओर।

सार्थक नहीं है यह व्यवस्था
प्रगति का नहीं है यह रास्ता,
शिक्षक व बच्चे हो गए हैं कुंठित
सरकार अभिभावक भी है चिंतित।

कैसे और क्या हो प्रगति का रास्ता
उचित क्या की जाए व्यवस्था,
सभी खानापूर्ति में लगे हैं अब
गुण नहीं स्वरूप पर जुड़े हैं सब।

माना मैंने संकट है विशाल
पर लड़ना इससे है हर हाल,
लड़ने के साथ काम है जरूरी
प्रगति के साथ पढ़ाई भी हो पूरी।

मात्र शिक्षा ही है विकास की धुरी
दो सत्र से परीक्षा का नहीं है नाम,
बच्चे भूल चले हैं पढ़ाई का काम
सभी बिना लिखे उत्तीर्ण हो रहे हैं।

मिले अंकदान से प्रवीण हो रहे हैं
उनमें छाया है जश्न का माहौल,
अभिभावक भी बजा रहे हैं ढोल
बन न जाए कहीं यह उनकी पोल।

इन सबसे ही होकर परेशान
शिक्षक बैठा है लगाकर ध्यान,
बच्चे को कहाँ दे पाया वह ज्ञान
ऐसे में यह प्रगति नहीं दुर्गति है।

भले हो गई हो कक्षा में प्रगति
पर कैसे आएगी ज्ञान में पुनः गति,
कैसे करेगा वह भविष्य में उन्नति
कहता मैं बच्चों की यह क्षति।

संभव नहीं शीघ्र इसकी पूर्ति
हे ईश्वर अब तुझ पर है आस,
विद्यार्थियों की लौटाओ श्वांस
बिना ज्ञान हो रही कक्षा पार।

जर्जर होता प्रगति का आधार
शिक्षक देखता भविष्य अंधकार।
शिक्षक हुआ अब लाचार,
शिक्षक देखता भविष्य अंधकार॥

परिचय–साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैL जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैL भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैL साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैL आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैL सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंL लेखन विधा-कविता एवं लेख हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैL पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंL विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

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