संजय जैन
मुम्बई(महाराष्ट्र)
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५ सितम्बर शिक्षक दिवस विशेष……….
आज जो कुछ भी हूँ मैं,
इसका श्रेय उन शिक्षकों को
जिन्होंने १ से लेकर एमबीए तक पढ़ाया,
और यहां तक पहुंचाया।
कभी भूल सकता नहीं,उनके योगदान को,
इसलिए,सदा में उनकी चरण वंदना करता हूँ॥
माता-पिता ने पैदा किया,
पर दिया गुरु ने ज्ञान।
तब जाकर में बना लेखक,
और बना एक कुशल प्रबंधक।
देता हूँ मैं श्रेय इसका,
अपने उनको शिक्षकों को
जिन्होंने दिया हमें ज्ञान॥
खुद के जीवन में भले रहे अंधेरा,
पर रोशनी शिष्यों को दिखाते हैं।
जिससे कोई बन जाता कलेक्टर,
और कोई वैज्ञानिक कहलाता है।
सुनकर शिक्षकों को,
गर्व बहुत होता है।
मैं कैसे भूल जाऊं उनको,
जिन्होंने हमें योग्य बनाया है।
शिक्षा देकर हमको,
यहां तक पहुंचाया है॥
इसलिये,करता सदा में चरण वंदना
उन सभी की॥
परिचय-संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।
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